माली आतंकी हमला: अल-कायदा ने 3 भारतीयों को बनाया बंधक

माली आतंकी हमला: अल-कायदा ने 3 भारतीयों को बनाया बंधक
नई दिल्ली — पश्चिम अफ्रीकी देश माली एक बार फिर आतंक के साए में है। अल-कायदा से जुड़े खूंखार आतंकी संगठन जमात नस्र अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमिन (JNIM) ने माली के कायेस क्षेत्र में स्थित एक डायमंड सीमेंट फैक्ट्री पर भीषण हमला कर तीन भारतीय नागरिकों और एक चीनी नागरिक को बंधक बना लिया है। यह घटना न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
हमले की जानकारी: क्या हुआ था?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हमला 2 जुलाई की देर शाम हुआ, जब भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने फैक्ट्री में अचानक धावा बोल दिया।
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आतंकियों ने फैक्ट्री परिसर में अंधाधुंध गोलीबारी की और वहां कार्यरत कुछ कर्मचारियों को जबरन अपने साथ जंगलों की ओर ले गए।
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अब तक की जानकारी के अनुसार, तीन भारतीय और एक चीनी नागरिक को आतंकियों ने बंधक बनाया है।
बंधक बनाए गए भारतीय कर्मचारी वहां तकनीकी विशेषज्ञ और प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में कार्यरत बताए जा रहे हैं। फैक्ट्री का संचालन एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी कर रही थी, जो माली में बुनियादी ढांचा और निर्माण क्षेत्र में काम कर रही है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया: ‘गंभीर चिंता और तत्काल कार्रवाई’
घटना की पुष्टि के बाद भारत सरकार ने तत्काल विदेश मंत्रालय (MEA) को सक्रिय कर दिया। मंत्रालय ने देर रात एक आपातकालीन बयान जारी करते हुए इस अपहरण को
“आतंक की कायराना हरकत और भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला” बताया।
MEA ने कहा:
“हमारे नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत सरकार माली सरकार और वैश्विक सहयोगियों के साथ मिलकर बंधकों की सुरक्षित रिहाई के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।”
माली में भारतीय दूतावास को हाई अलर्ट पर रखा गया है और स्थानीय प्रशासन से लगातार संपर्क बनाए रखा गया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ और अन्य प्रमुख देशों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
“हम अपने नागरिकों को सुरक्षित लाने के लिए सभी राजनयिक और रणनीतिक उपायों पर काम कर रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता जरूरी है।”
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ओर से भी इस घटना पर चिंता जताई गई है।
माली में आतंकवाद की पृष्ठभूमि
माली, विशेष रूप से इसके उत्तरी और पश्चिमी हिस्से, बीते एक दशक से चरमपंथी गतिविधियों का गढ़ बने हुए हैं।
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JNIM, जो अल-कायदा से संबद्ध है, इस क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख आतंकी संगठन है।
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इस समूह ने पहले भी विदेशी नागरिकों को निशाना बनाया है और फिरौती या राजनीतिक सौदों के लिए बंधक बनाए हैं।
2020 और 2022 में भी कई विदेशी नागरिकों का अपहरण हो चुका है, लेकिन भारतीय नागरिकों को इस प्रकार निशाना बनाए जाने की यह पहली बड़ी घटना है।
भारतीयों को सुरक्षा निर्देश
विदेश मंत्रालय ने माली में रह रहे सभी भारतीयों के लिए सख्त एडवाइजरी जारी की है:
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अनावश्यक यात्रा न करें
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भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचें
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घरों के भीतर रहें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें
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किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल दूतावास को दें
भारत सरकार ने माली में मौजूद भारतीय संस्थानों और कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों की स्थिति की रिपोर्ट लगातार साझा करें।
अब आगे क्या?
इस हमले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विदेशों में काम कर रहे भारतीय नागरिक पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं?
क्या यह हमला किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है?
क्या भारत सरकार जल्द कोई रेस्क्यू ऑपरेशन या राजनयिक मिशन चलाएगी?
इन सवालों के जवाब आने बाकी हैं, लेकिन भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि “हम चुप नहीं बैठेंगे, हर नागरिक की जान की कीमत है।”
माली में हुआ यह आतंकी हमला भारत के लिए एक कूटनीतिक और मानवीय संकट है।
जहां एक ओर यह वैश्विक आतंकवाद की भयावहता को उजागर करता है, वहीं दूसरी ओर यह भारत की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति के लिए एक कठिन अग्निपरीक्षा बन सकता है।
पूरी दुनिया की निगाहें अब माली और भारत की कार्रवाई पर टिकी हैं — उम्मीद है कि बंधकों की सुरक्षित वापसी जल्द ही सुनिश्चित की जा सकेगी।