मां कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुईं और उन्हें दर्शन दिए। महर्षि ने मां के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, जिस पर मां ने वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।
उस समय महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार तीनों लोकों पर बढ़ रहा था। त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से माता का उत्पन्न होना तय हुआ और वे महर्षि कात्यायन के घर जन्मीं। इस कारण उन्हें कात्यायनी नाम दिया गया। माता के पुत्री रूप में जन्म लेने के बाद महर्षि ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर उनकी विधि-विधानपूर्वक पूजा की। अंत में दशमी के दिन मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया।

