Maa Katyayani Mantra or Aarti: मां कात्यायनी के मंत्र और आरती
Maa Katyayani Mantra or Aarti: नवरात्रि के छठवें दिन भगवती दुर्गा की पूजा करने वाले साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सभी फलों की प्राप्ति होती है लेकिन ध्यान रहे मां कात्यायनी की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक आप उनकी विधि-विधान से मंत्र और आरती नहीं करते हैं। आइए भगवती दुर्गा के पावन स्वरूप मां कात्यायनी की आरती को पढ़ते हुए उनकी महिमा का गुणगान करते हैं।
मां कात्यायनी के मंत्र | Maa Katyayani Ke Mantra
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके,
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
“कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”
मंत्र – ‘ॐ ह्रीं नम:।।’
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
मंत्र – ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मां कात्यायनी का मंत्र (Maa Katyayani Mantra) मूल मंत्र:
कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”
स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी की आरती | Maa Katyayani Ki Aarti
जय जय अम्बे जय कात्यायनी.
जय जगमाता जग की महारानी.
बैजनाथ स्थान तुम्हारा.
वहां वरदाती नाम पुकारा.
कई नाम हैं कई धाम हैं.
यह स्थान भी तो सुखधाम है.
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी.
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी.
हर जगह उत्सव होते रहते.
हर मन्दिर में भगत हैं कहते.
कात्यायनी रक्षक काया की.
ग्रंथि काटे मोह माया की.
झूठे मोह से छुडाने वाली.
अपना नाम जपाने वाली.
बृहस्पतिवार को पूजा करिए.
ध्यान कात्यायनी का धरिये.
हर संकट को दूर करेगी.
भंडारे भरपूर करेगी.
जो भी मां को भक्त पुकारे.
कात्यायनी सब कष्ट निवारे.
