केरल में बीमार आवारा कुत्तों के लिए इच्छामृत्यु को मंजूरी, मोबाइल एबीसी यूनिट्स भी शुरू

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केरल में बीमार आवारा कुत्तों के लिए इच्छामृत्यु को मंज़ूरी, मोबाइल एबीसी यूनिट्स भी शुरू

केरल सरकार ने पशु क्रूरता निवारण नियम, 2023 के तहत गंभीर रूप से बीमार आवारा कुत्तों की मानवीय इच्छामृत्यु को अनुमति दी है। साथ ही, एबीसी (Animal Birth Control) को तेज़ करने के लिए मोबाइल यूनिट्स शुरू करने का भी फैसला लिया गया है। यह कदम बढ़ते कुत्तों के हमलों और जन स्वास्थ्य संकट के बीच उठाया गया है। पिछले कुछ समय से आवारा कुत्तों के हमलों में वृद्धि के कारण केरल वर्तमान में एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है।

पशु इच्छामृत्यु के लिए कानूनी प्रावधान

पशु क्रूरता निवारण (पशुपालन व्यवहार और प्रक्रियाएँ ) नियम, 2023 का उद्देश्य आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करना है, जो मौजूदा पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों का पूरक है। 2023 के नियमों की धारा 8 इच्छामृत्यु की अनुमति केवल तभी देते है यदि:

  • पशु गंभीर रूप से बीमार हो और बीमारी फैला सकता है
  • पशु प्राणघातक या गंभीर रूप से घायल हो।
  • यह प्रक्रिया समिति की देखरेख में एक योग्य पशु चिकित्सक द्वारा मानवीय तरीके से की जाती है।
  • उसे जीवित रखने के लिए क्रूरता के कृत्य के रूप में पंजीकृत पशु चिकित्सक द्वारा प्रमाणित होना आवश्यक है।

इच्छामृत्यु क्या है ?

  • इच्छामृत्यु को किसी व्यक्ति या पशु को असाध्य पीड़ा या दर्द से राहत पाने के लिए मृत्यु को शीघ्रता से रोककर उसे और अधिक कष्ट से बचाने के रूप में परिभाषित किया जाता है। हालांकि, इच्छामृत्यु का प्रयोग करते समय, पशु को बिना दर्द या पीड़ा के बेहोश करना अनिवार्य है तथा इसे एक चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए।

इच्छामृत्यु के प्रकार

  1. सक्रिय इच्छामृत्यु: सक्रिय इच्छामृत्यु से तात्पर्य चिकित्सक द्वारा असाध्य या मरणासन्न रोगी के जीवन को समाप्त करने के लिए प्रत्यक्ष कार्रवाई (जैसे, घातक दवाओं तथा इंजेक्शन) का प्रयोग किया जाता है।
  • इच्छामृत्यु के लिए सहमति देने के संबंध में सक्रिय इच्छामृत्यु के तीन प्रकार है:
  • स्वैच्छिक इच्छामृत्यु- रोगी के अनुरोध पर।
  • ऐच्छिक इच्छामृत्यु- रोगी की सहमति के बिना।
  • अनैच्छिक इच्छामृत्यु-रोगी सहमति देने की स्थिति में नहीं।
  1. निष्क्रिय इच्छामृत्यु: निष्क्रिय इच्छामृत्यु से तात्पर्य चिकित्सा उपचार या जीवन रक्षक हस्तक्षेपों को जानबूझकर रोकना या वापस लेना है, जिससे रोगी को अपनी अंतनिर्हित स्थिति से स्वाभाविक रूप से मरने की अनुमति मिल जाती है।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • 2011-अरुणा शानबाग मामला: सर्वोच्च न्यायालय ने असाधारण मामलों में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी।
  • कॉमन कॉज बनाम भारत संघ (2018)मामले में सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने व्यक्ति के सम्मानपूर्वक मरने के अधिकार को मान्यता दी है।
  • इसमें कहा गया है कि गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति निष्क्रिय इच्छामृत्यु का विकल्प चुन सकता है तथा चिकित्सा उपचार से इनकार करने के लिए जीवित वसीयत बना सकता है।

2018 के निर्णय

  • असाध्य रूप से बीमार रोगियों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैध बनाया गया।
  • न्यायालय ने सम्मानपूर्वक मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का एक पहलू माना है।
  • जीवन रक्षक प्रणाली वापस लेने के लिए अग्रिम निर्देशों के उपयोग की अनुमति दी गई।

पशु इच्छामृत्यु एक नैतिक और भावनात्मक रूप से संवेदनशील एवं जटिल मुद्दा है; लेकिन बीमार आवारा कुत्तों की मानवीय इच्छामृत्यु की अनुमति देने का केरल सरकार का निर्णय जन स्वास्थ्य, पशु कल्याण और क़ानूनी आदेशों के बीच जटिल संतुलन को दर्शाता है। मनुष्यों और आवारा कुत्तों के बीच चल रहे इस संघर्ष को सुलझाने के लिए स्पष्ट कानून, सामुदायिक भागीदारी और एबीसी का सुदृढ़ कार्यान्वयन आवश्यक है।

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