करतारपुर कॉरिडोर: धार्मिक, ऐतिहासिक और सुरक्षा दृष्टिकोण से एक विश्लेषण

करतारपुर कॉरिडोर: धार्मिक, ऐतिहासिक और सुरक्षा दृष्टिकोण से एक विश्लेषण
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार द्वारा करतारपुर कॉरिडोर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया, जिससे तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के करतारपुर साहिब जाने की अनुमति अस्थायी रूप से रोक दी गई।
लेकिन यह सिर्फ एक तात्कालिक निर्णय है। आइए जानें करतारपुर कॉरिडोर का धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व क्या है, और इससे जुड़े प्रमुख तथ्य क्या हैं।
करतारपुर कॉरिडोर क्या है?
स्थापना:
12 नवंबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया था, जो गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में हुआ। यह गलियारा भारत के पंजाब में डेरा बाबा नानक से शुरू होकर पाकिस्तान के नरोवाल जिले में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक जाता है।
भौगोलिक स्थिति:
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भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 1 किमी दूर स्थित।
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भारत में रावी नदी के पूर्वी तट पर स्थित डेरा बाबा नानक से शुरू होता है।
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पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब तक तीर्थयात्रियों को पहुंचाता है।
धार्मिक महत्व:
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यह गुरुद्वारा वह स्थान है जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।
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यह स्थल सिखों के लिए उतना ही पवित्र है जितना कि अमृतसर का हरमंदिर साहिब।
यात्रा से जुड़ी प्रमुख बातें:
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वीजा-मुक्त यात्रा: भारतीय तीर्थयात्रियों को वीजा की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन पासपोर्ट आवश्यक होता है।
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एक-दिवसीय यात्रा: तीर्थयात्री उसी दिन लौटना अनिवार्य है।
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प्रतिदिन 5000 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति होती है (सुरक्षा व अनुमति पर निर्भर)।
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भारत-पाकिस्तान के बीच एकमात्र कार्यशील धार्मिक गलियारा।
कॉरिडोर की संरचना:
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भारतीय पक्ष में:
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4.1 किमी लंबा चार लेन का हाईवे डेरा बाबा नानक तक बन चुका है।
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पाकिस्तानी पक्ष में:
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पाकिस्तान ने सीमा से गुरुद्वारे तक सड़क और सुविधाएं विकसित की हैं।
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पाकिस्तान श्रद्धालुओं से 20 अमेरिकी डॉलर शुल्क वसूलता है।
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हालिया सुरक्षा चिंता और ऑपरेशन सिंदूर:
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा कारणों से कॉरिडोर को अस्थायी रूप से बंद किया गया।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में घुसपैठ या आतंकी गतिविधियों की आशंका जताई गई थी, जिससे तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया।
भारत-पाकिस्तान समझौता (2024):
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भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत यह निर्णय लिया गया है कि यह गलियारा 2029 तक खुला रहेगा।
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इससे सिख समुदाय को एक निरंतर धार्मिक सुविधा मिलती रहेगी।
शैक्षिक निष्कर्ष:
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करतारपुर कॉरिडोर धार्मिक सहिष्णुता, राजनयिक संवाद, और सीमा पार तीर्थ यात्रा का प्रतीक है।
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यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो दोनों देशों के बीच सहयोग का उदाहरण है, भले ही राजनीतिक मतभेद मौजूद हों।
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इसकी अस्थायी बंदी हमें यह समझाती है कि धार्मिक स्थलों की यात्रा और सुरक्षा नीति कैसे एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं।
गुरु नानक देव जी के बारे में संक्षेप में:
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जन्म: 1469, ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान में)
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सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक
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भक्ति आंदोलन के ‘निर्गुण’ मार्ग का समर्थन किया
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मूर्ति पूजा, जात-पात और धार्मिक कर्मकांड का विरोध किया
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‘एक ओंकार सतनाम’ का संदेश दिया – एक ईश्वर की विचारधारा
करतारपुर कॉरिडोर केवल एक सड़क या इमारत नहीं है, यह सिख आस्था का जीवंत प्रतीक, भारत-पाक संबंधों में संवाद का एक माध्यम, और सीमाओं से परे धार्मिक जुड़ाव का प्रतीक है। इसकी अस्थायी बंदी एक सुरक्षा निर्णय हो सकता है, लेकिन इसके मूल उद्देश्य – भक्ति, विश्वास और भाईचारे – पर कोई असर नहीं डालता।