Jhijhiya Folk Dance: नवरात्रि का पावन झिझिया लोकनृत्य, बिहार की संस्कृति, इतिहास और महत्व

Jhijhiya Folk Dance: भारत विविध परंपराओं और लोक कलाओं का देश है। हर प्रदेश की अपनी-अपनी संस्कृति, नृत्य और त्योहार हैं। इन्हीं में से एक है झिझिया लोकनृत्य (Jhijhiya Folk Dance), जो बिहार के मिथिला अंचल में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि इसमें भक्ति, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक पहचान भी छिपी हुई है।

झिझिया लोकनृत्य (Jhijhiya Folk Dance) क्या है?

झिझिया लोकनृत्य बिहार और पूर्वी भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। इसे मुख्य रूप से महिलाएं और युवतियां करती हैं। इस नृत्य में सिर पर झिझिया रखा जाता है। झिझिया एक मिट्टी, पीतल या धातु का पात्र होता है, जिसमें कई छेद होते हैं और उसके भीतर दीपक (दीया) जलता है। जब रात में महिलाएं समूह में नृत्य करती हैं तो इन झिझिया पात्रों से निकलने वाली रोशनी पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और दिव्य बना देती है।

झिझिया लोकनृत्य (Jhijhiya Folk Dance) कब किया जाता है?

झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) क्यों प्रचलित है?

झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) की परंपरा केवल भक्ति तक सीमित नहीं है, इसके पीछे कई सामाजिक और धार्मिक कारण हैं:

  1. देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए – लोकमान्यता है कि झिझिया नृत्य करने से माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार को सुरक्षा देती हैं।

  2. बुरी शक्तियों से रक्षा – प्राचीन काल में लोग मानते थे कि झिझिया नृत्य करने से गांव पर आई महामारी, बीमारियां और प्रेत-आत्माएं दूर हो जाती हैं।

  3. खेती-बाड़ी से जुड़ाव – यह नृत्य अच्छी वर्षा और फसल की वृद्धि के लिए भी किया जाता था।

  4. सामूहिकता का प्रतीक – इसमें पूरा गांव भाग लेता है, जिससे एकजुटता और सामुदायिक भावना मजबूत होती है।

झिझिया लोकनृत्य (Jhijhiya Folk Dance) कहां का पारंपरिक त्योहार है?

jhijhiya folk dance

कब से प्रचलित है?

झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) की परंपरा सैकड़ों वर्षों पुरानी मानी जाती है।

झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) की धार्मिक मान्यताएं

  1. झिझिया में जलते दीपक को मां दुर्गा की ज्योति माना जाता है।

  2. झिझिया नृत्य करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और गांव-घर की रक्षा करती हैं।

  3. सिर पर जलते दीपक को लेकर नृत्य करना भक्ति, साहस और समर्पण का प्रतीक है।
  4. लोकमान्यता है कि झिझिया का दीपक अंधकार (बुराई) को दूर करता है और गांव में प्रकाश (सुख-समृद्धि) लाता है।

  5. इसे करने से गांव पर आने वाली विपत्ति टल जाती है और लोगों को शांति और सुख मिलता है।

  6. प्राचीन समय में लोग मानते थे कि यह नृत्य महामारी और बुरी आत्माओं को दूर भगाने का उपाय है।

  7. यह नृत्य सामूहिकता और सामाजिक एकता का प्रतीक है, क्योंकि इसमें पूरा गांव मिलकर भाग लेता है।

झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) की विशेषताएं

आधुनिक संदर्भ में झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance)

आज के समय में भी झिझिया नृत्य (Jhijhiya Folk Dance) बिहार की पहचान बना हुआ है।

झिझिया लोकनृत्य (Jhijhiya Folk Dance) केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि यह भक्ति, सामाजिक एकता और लोकसंस्कृति का अनमोल खजाना है। यह केवल एक कला नहीं, बल्कि देवी दुर्गा की आराधना और समाज की एकता का प्रतीक है। यह नृत्य हमें यह संदेश देता है कि सामूहिक भक्ति और आस्था से समाज की रक्षा हो सकती है। सदियों से यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है और बिहार और मिथिला की यह परंपरा आज भी लोगों की आस्था और संस्कृति को जोड़ने का माध्यम बनी हुई है।

वीडियो भी देखें:

Exit mobile version