Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर गाएं लोकप्रिय भजन “नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की।”

जन्माष्टमी हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और आनंदमय त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म की याद में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रात 12 बजे तक भजन-कीर्तन करते हैं और फिर मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।
माना जाता है कि जैसे ही घड़ी में 12 बजते हैं, मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण के जन्म की घंटियां बज उठती हैं, शंखनाद होता है और वातावरण “जय कन्हैया लाल की” के नारों से गूंज उठता है।
जन्माष्टमी पर भजन का महत्व
जन्माष्टमी के अवसर पर भजन गाना न सिर्फ वातावरण को पवित्र करता है, बल्कि भक्ति भाव से हृदय को भी भर देता है। यह माना जाता है कि इस दिन गाए गए भजन से भगवान कृष्ण की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।
प्रसिद्ध भजन: “हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की”
सबसे लोकप्रिय जन्माष्टमी भजन में से एक है –
“नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की।”
यह भजन नंदबाबा और यशोदा मैया के घर में जन्मे कृष्ण के आगमन पर गोकुल में छाए उत्साह और उमंग को दर्शाता है। यह भजन हर जन्माष्टमी पर गूंजता है और कृष्ण जन्मोत्सव का अभिन्न हिस्सा है।
भजन के बोल:
हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
हे ब्रज में आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
ए आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की ॥
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
ए गौवे चराने आयो जय यशोदा लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की,
गैया चराने आयो जय यशोदा लाल की ॥
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
हे आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय यशोदा लाल की ॥
आनंद से बोलो सब जय हो ब्रज लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
आनंद से बोलो जय हो ब्रज लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
जय हो ब्रज लाल की जय हो प्रतीपाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की॥
जन्माष्टमी हमें यह संदेश देती है कि भक्ति, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन को दिव्यता से भरा जा सकता है। इस दिन का उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में आनंद, सद्भाव और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। जन्माष्टमी पर मंदिरों और घरों में “हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की” की गूंज हर भक्त को कृष्ण प्रेम में सराबोर कर देती है। यह दिन हर साल हमें भगवान कृष्ण की लीलाओं और उनके दिव्य जन्म की स्मृति दिलाता है।