जन्माष्टमी 2025 व्रत नियम: प्रेमानंद महाराज ने बताए व्रत खोलने का सही तरीका और समय

नई दिल्ली: जन्माष्टमी का पर्व इस साल भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर व्रत रखते हैं। हालांकि, कई बार व्रत को लेकर लोगों के मन में सवाल और कन्फ्यूजन बनी रहती है — खासकर व्रत रखने और पारण करने के सही नियमों को लेकर। इसी विषय पर प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने विस्तार से बताया है कि जन्माष्टमी के दिन व्रत कैसे करना चाहिए और इसे खोलने का सही तरीका क्या है।
जन्माष्टमी व्रत का महत्व
जन्माष्टमी का व्रत केवल भोजन न करने का नियम नहीं है, बल्कि यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और आत्मसंयम का प्रतीक है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जन्माष्टमी के व्रत में व्यक्ति को शरीर और मन दोनों से पवित्र रहना चाहिए। यह व्रत केवल शारीरिक भूख मिटाने के लिए नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
व्रत के प्रमुख नियम (Premanand Maharaj ke Anusar)
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निर्जला या फलाहार व्रत –
जो श्रद्धालु सक्षम हों, वे निर्जल (बिना पानी) व्रत रख सकते हैं। अन्य लोग फलाहार कर सकते हैं, जिसमें दूध, फल, माखन-मिश्री, पंजीरी आदि शामिल हैं। -
प्याज-लहसुन वर्जित –
व्रत के दौरान सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें। तामसिक पदार्थ जैसे प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि का सेवन न करें। -
पूजा और भजन-कीर्तन –
दिनभर भगवान कृष्ण के भजन-कीर्तन करें, गीता पाठ करें और उनके बालरूप की आराधना करें। -
रात्रि जागरण –
जन्माष्टमी के दिन निशिता काल (रात 12 बजे) तक जागकर पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यही श्रीकृष्ण के अवतरण का समय है। -
मन को पवित्र रखें –
व्रत के दौरान क्रोध, छल, असत्य, ईर्ष्या और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
व्रत पारण का सही तरीका
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, व्रत का पारण तीन स्थितियों में किया जा सकता है:
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निशिता पूजा के बाद – कई लोग रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने के बाद ही व्रत तोड़ देते हैं।
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अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद – शास्त्रानुसार व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद करना चाहिए।
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रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद – कुछ भक्त पारण रोहिणी नक्षत्र के बाद करते हैं।
2025 में अष्टमी तिथि 16 अगस्त को रात 9:34 बजे समाप्त होगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र 18 अगस्त की सुबह 3:17 बजे खत्म होगा।
पारण विधि
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सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण की स्नान-पूजन, भोग और आरती करें।
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भोग में माखन-मिश्री, धनिया पंजीरी, फल आदि अर्पित करें।
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पारण के लिए सबसे पहले भगवान को अर्पित भोग का प्रसाद ग्रहण करें।
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पारण के बाद सात्त्विक भोजन करें और दान-पुण्य करें।
प्रेमानंद महाराज का संदेश
प्रेमानंद महाराज ने कहा –
“जन्माष्टमी का व्रत केवल खानपान का त्याग नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, प्रेम और सेवा का व्रत है। इसे श्रद्धा और शुद्धता से करने पर ही इसका फल मिलता है।”
डिस्कलेमर: व्रत का समय और पारण मुहूर्त पंचांग और स्थान विशेष के अनुसार थोड़ा बदल सकता है, इसलिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।