जलवायु परिवर्तन से सम्राट पेंगुइनों के अस्तित्व पर संकट

जलवायु परिवर्तन से सम्राट पेंगुइनों को खतरा
जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है, जिससे सम्राट पेंगुइन के प्रजनन स्थलों को खतरा उत्पन्न हो गया है। अंटार्कटिका की बर्फीली धरती पर बसने वाला सम्राट पेंगुइन दुनिया के सबसे कठिन मौसम में भी जीवन जीने में सक्षम है। लेकिन आज जलवायु परिवर्तन की तेज़ रफ्तार उसके अस्तित्व पर संकट बनकर मंडरा रही है। पिघलती समुद्री बर्फ न केवल इनके प्रजनन स्थलों को नष्ट कर रही है, बल्कि पूरी पारिस्थितिकी को असंतुलित कर रही है। अब समय आ गया है कि हम इन अद्भुत जीवों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।
सम्राट पेंगुइन के बारे में (Aptenodytes forsteri):
- सम्राट पेंगुइन अंटार्कटिका में पाया जाने वाला सभी जीवित पेंगुइन की 18 प्रजातियों में सबसे लंबा और भारी है। यह एक स्थानिक प्रजाति है जो केवल अंटार्कटिका में पाई जाती है।
- यह एकमात्र पेंगुइन प्रजाति है जो अंटार्कटिका की सर्दियों के दौरान प्रजनन करती है। ये अपने पूरे जीवन चक्र के दौरान कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखती है, अधिकांश कॉलोनियां अपना पूरा जीवन समुद्री बर्फ पर बिताती है।
- अंटार्कटिका में लगभग 54 स्थलों पर प्रजनन करते हैं, मुख्यत: रॉस और वड्डेल सागर क्षेत्रों में।
- ये सबसे बड़ी पेंगुइन प्रजाति है और पृथ्वी के सबसे बड़े पक्षियों में से एक मानी जाती है। ये सभी पेंगुइनों की तरह यह भी नहीं उड़ सकता।
इनकी लंबाई 101 से 132 सेमी तथा इनके पंखों का फैलाव 76 से 89 सेमी होता है। - एक वयस्क सम्राट पेंगुइन का वजन 25 से 45 किलोग्राम तक होता है, इसकी कुछ प्रजातियां सम्राट पेंगुइन से भी बड़ी होती है जिनका वजन 100 किलोग्राम तक भी हो सकता है।
- इनका शरीर का रंग काला और सफेद होता है तथा कान के क्षेत्र में नारंगी और पीले रंग के धब्बे होते है। गर्म जलवायु में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए आँख के ऊपर एक गुलाबी ग्रंथि होती है। जो इन्हें अन्य सब से विशिष्ट बनता है।
- ये -50०C तक की तापमान और 200 किमी/ घंटा की हवाओं की गति जैसी कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने के अनुकूलित होते है।
- सम्राट पेंगुइन के पैर बर्फीली परिस्थितियों के अनुकूल होते है तथा बर्फ को पकड़ने के लिए इनके पास मजबूत पंजे होते है।
- अफ्रीकी पेंगुइन को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट में इन्हें खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो इस प्रजाति के विलुप्त होने के गंभीर जोखिम को दर्शाता है।
पेंगुइन के बारे में:
- पेंगुइन जल-जीवी पक्षी हैं, जो उड़ नहीं सकते और मुख्यत: दक्षिणी गोलार्द्ध में पाए जाते है। जिनमें अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल है।
- एक प्रजाति गैलापागोस पेंगुइन भूमध्य रेखा के उत्तर पर भी रहती है।
- पेंगुइन के पंख होते हैं, लेकिन ये उड़ नहीं सकते, इनके पंख कठोर और छोटे फ्लिपर्स होते है जो उन्हें पानी के भीतर आगे बढ़ने में मदद करते है।
- पेंगुइन आमतौर पर समूहों में प्रजनन करते है, और वे अपने अंडो को जमीन या बर्फ पर बने घोंसलों में रखते है।
- ये मछली, क्रिल सार्डिन और एन्कोवीज जैसी छोटी पेलाजिक मछलियाँ भी खाते है।
- हर वर्ष 25 अप्रैल को “वर्ल्ड पेंगुइन डे” के रूप में मनाया जाता है।
जलवायु परिवर्तन से समुद्री बर्फ की परत, मोटाई और अवधि में गिरावट हो रही है,जो उनके प्रजनन और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। ये खाद्य श्रृंखलाओं और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। पेंगुइन का जलवायु परिवर्तन के कारण अस्तित्व खतरे में है, इनको तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है।