राजस्थान के किसानों की मदद करने के लिए नया जल संचयन मॉडल

राजस्थान में जलवायु-अनुकूल कृषि तालाब: किसानों के लिए नई जल संचयन रणनीति
राजस्थान : जयपुर के आमेर ब्लॉक के कुकस गांव में मानसून के दौरान 10 करोड़ लीटर वर्षा जल को संचित करने की क्षमता वाले तालाब विकसित करने के लिए चुना गया, जिसमें राजस्थान का दूसरा स्थान है। यह मॉडल सूखा-प्रवण क्षेत्रों में खेती को सुरक्षित करने, भूजल स्तर बढ़ाने और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह पहल जल शक्ति अभियान, अटल भूजल योजना और सतत कृषि मिशन जैसे सरकारी कार्यक्रमों का समर्थन करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद करेगी।
जलवायु-अनुकूल कृषि तालाब क्या है ?
- जलवायु-अनुकूल कृषि तालाब, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है।
- ये ऐसे संरचनात्मक जलाशय हैं जो सूखा-प्रवण ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल को संचित कर खेती में मदद करते है।
- ये तालाब भूजल रिचार्ज करने,जैव विविधता को बढ़ावा देने और स्थानीय जलवायु को विनियमित करने में भी मदद करते है।
- प्रत्येक तालाब लगभग 10 फीट गहरा होता है और इसके तल को टिकाऊ प्लास्टिक शीटिंग से पक्का किया जाता है।
- ये तालाब खेत की कुल भूमि का केवल 5% भाग घेरते है, जिससे फसलों के लिए अधिक भूमि बनी रहती है और जल संचयन अधिकतम होता है।
- सुरक्षा के लिए चारों ओर से बाड़ लगाई जाती है जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित रहे और जानवरों से प्रदूषित न हो।
पहल का महत्व:
- यह पहल वर्ष भर जल आपूर्ति उपलब्ध कराने पर केंद्रित है, जिससे किसानों को रबी और खरीफ दोनों फसलों को उगाने में मदद मिलेगी तथा वे मूँगफली तथा चौला जैसी अधिक जल-कुशल और लाभदायक फसलों की खेती में भी विविधता ला सकेंगे।
- यह जल शक्ति अभियान और अटल भूजल योजना (भूजल संरक्षण) का भी समर्थन करता है।
- तालाबों को न केवल सिंचाई प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, बल्कि भूजल को पुनर्भरण करने में भी मदद करता है, जो अंबर ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में एक आवश्यक संसाधन है जहाँ नदी या नहर नेटवर्क का अभाव है।
- राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के तहत सतत कृषि को बढ़ावा देता है।
- निरंतर जल आपूर्ति से टिकाऊ पशुधन पालन और उच्च मूल्य बागवानी की सुविधा मिलती है, जिससे इस क्षेत्र में डेयरी फार्मिंग तथा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अवसर सृजित होते है।
- पानी की उपलब्धता में सुधार करके किसानों की आय को दोगुना करने में योगदान देता है।
अन्य भारतीय प्रतिबद्धताओं में सहायता एवं योजनाएं::
- एसडीजी-6: स्वच्छ जल और स्वच्छता- सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- एसडीजी-13: जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना।
- एसडीजी-15: सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
- इस पहल में पहले ही 50 तालाब बनाए जा चुके हैं और अब इसमें 25 और तालाब बनाने की योजना है।
- इस विस्तार से क्षेत्र के लगभग 50,000 ग्रामीणों को लंबे समय में लाभ मिलने की उम्मीद है।
- ये जलवायु-अनुकूल ग्रामीण बुनियादी ढांचा बनाता है।
जलवायु-अनुकूल कृषि तालाब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक प्रभावी रणनीति है। भारत, में जलवायु-अनुकूल कृषि तालाबों को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे है, इसके अलावा कई गैर-सरकारी संगठन और निजी कंपनियां भी जलवायु-अनुकूल कृषि तालाबों को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल है। इस तकनीकी का प्रयोग करके, किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी योगदान कर सकते हैं।