Shubhanshu Shukla ISS Mission : भारत के लिए गर्व की बात है! 41 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, एक बार फिर तिरंगा अंतरिक्ष में लहरा उठा है। Axiom Mission-4 के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब अंतरिक्ष की सीमाओं को छूने निकले हैं। वे ISS (International Space Station) की ऐतिहासिक यात्रा पर हैं और इस मिशन के जरिए भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष साझेदारी में एक और मजबूत कदम रखा है।
12:01 बजे हुआ लॉन्च, 28 घंटे बाद पहुंचेगा ISS
भारतीय समयानुसार 21 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे, शुभांशु शुक्ला ने SpaceX के Falcon-9 रॉकेट से फ्लोरिडा के Kennedy Space Center से उड़ान भरी। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो 26 जून की शाम 4:30 बजे (IST) वे और उनकी टीम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक करेंगे — यानी धरती से 400 किलोमीटर ऊपर, मानवता के सबसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगशाला में प्रवेश करेंगे।
भावुक संदेश: “हम 41 साल बाद अंतरिक्ष में पहुंचे हैं”
लॉन्च के कुछ ही घंटों बाद, शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से एक भावुक संदेश भेजा:
“नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों, हम 41 साल बाद अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। यह बहुत शानदार सफर है।”
उनके इन शब्दों ने करोड़ों भारतीयों के दिल को छू लिया और सोशल मीडिया पर मानो बधाइयों की बाढ़ आ गई।
कौन-कौन हैं इस मिशन का हिस्सा?
Axiom-4 मिशन की कमान संभाल रही हैं NASA की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन, जो Axiom Space की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक भी हैं।
इस टीम में हैं:
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शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
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स्लावोश उजनांस्की (यूरोप) – मिशन स्पेशलिस्ट
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तिबोर कापू (हंगरी) – मिशन स्पेशलिस्ट
यह मिशन चारों देशों के साझा वैज्ञानिक, तकनीकी और शैक्षणिक संबंधों की प्रतीक बन चुका है।
ISS पर क्या करेंगे शुभांशु?
शुभांशु शुक्ला ISRO के प्रतिनिधि के रूप में 5 वैज्ञानिक प्रयोग और 2 STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) डेमो अंतरिक्ष में संचालित करेंगे। इनमें शामिल हैं:
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भारत और अमेरिका के साझा विज्ञान मिशन
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माइक्रोग्रैविटी में जैव प्रौद्योगिकी परीक्षण
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अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा संचरण
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छात्रों के लिए लाइव अंतरिक्ष कनेक्शन
ये सभी प्रयोग अंतरिक्ष में मानव जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में निर्णायक कदम माने जा रहे हैं।
लॉन्चिंग में आईं कितनी बाधाएं?
यह ऐतिहासिक उड़ान कई बार टल चुकी थी। कारण रहे तकनीकी खराबी, मौसम की बाधा और ISS में रूसी मॉड्यूल से प्रेशर लीक। देखें देरी का पूरा टाइमलाइन:
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29 मई – क्रू ड्रैगन मॉड्यूल में खराबी
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08 जून – फाल्कन-9 रॉकेट तैयार नहीं
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09 जून – इंजन में ऑक्सीजन लीक
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10 जून – खराब मौसम
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11 जून – दोबारा ऑक्सीजन लीक
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19 जून – ISS में प्रेशर लीक की जांच
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22 जून – NASA की आंतरिक जांच अधूरी
इसके बावजूद शुभ मुहूर्त मिला और मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
क्यों खास है यह मिशन?
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शुभांशु ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय हैं
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यह भारत की वैश्विक अंतरिक्ष नीति का प्रतीक है
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Axiom-4 मिशन विज्ञान, शिक्षा और निजी अंतरिक्ष उद्योग में नया अध्याय जोड़ता है
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भारत-अमेरिका की साझेदारी को नई ऊंचाई मिलती है
NASA की प्रशासक जेनेट पेत्रो ने कहा:
“NASA और Roscosmos के सहयोग से इस मिशन को संभव बनाया गया है। यह भविष्य के लिए मिसाल बनेगा।”
भावनाओं से भरा लम्हा: मां की आंखों में आंसू
जैसे ही शुभांशु ने उड़ान भरी, केनेडी स्पेस सेंटर में मौजूद उनकी मां की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा:
“मेरा लाल आज आसमान छूने गया है, इससे बड़ी खुशी मां के लिए क्या हो सकती है!”
अंतरिक्ष में भारत का नया सूर्योदय
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की उम्मीद, गौरव और आत्मविश्वास की उड़ान है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि भारत अब सिर्फ धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी नेतृत्व के लिए तैयार है।