India-Pakistan War Alert: कब बजता है वॉर सायरन, हवाई हमले से कैसे बचें? एक्सपर्ट से जानें

कब बजता है वॉर सायरन, हवाई हमले से कैसे बचें?
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आम जनता के मन में एक सवाल अक्सर उठता है—अगर युद्ध जैसी स्थिति बनी तो हमें कैसे सतर्क किया जाएगा? क्या सायरन बजेगा? अगर हवाई हमला होता है, तो आम नागरिक क्या करें? हालिया पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद की सैन्य हलचल ने एक बार फिर इस चिंता को हकीकत के करीब ला खड़ा किया है। आइए जानते हैं युद्ध या हवाई हमले के हालात में कब और कैसे वॉर सायरन बजता है और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
क्या होता है वॉर सायरन अलर्ट?
वॉर सायरन एक विशेष ध्वनि-संकेत है, जिसे किसी संभावित खतरे जैसे हवाई हमले, मिसाइल अटैक या सैन्य कार्रवाई की आशंका के समय बजाया जाता है। इसका उद्देश्य आम लोगों को समय रहते सतर्क करना होता है ताकि वे सुरक्षित स्थानों की ओर जा सकें।
सायरन अलर्ट के प्रकार:
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प्री-अलर्ट सायरन (Pre-alert Siren): संभावित खतरे की स्थिति में कुछ सेकंड्स के लिए धीमी लय में बजता है।
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अलर्ट सायरन (Alert Siren): जब खतरा आसन्न हो (जैसे कि दुश्मन के फाइटर जेट या मिसाइल भारतीय सीमा में प्रवेश कर चुके हों) तो यह 3-5 मिनट तक लगातार तेज आवाज में बजता है।
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ऑल-क्लियर सायरन: खतरे के टलने पर एक अलग प्रकार की आवाज के साथ बजता है जिससे लोग जान सकें कि वे सुरक्षित हैं।
अगर हो जाए हवाई हमला, तो क्या करें आम नागरिक?
एक्सपर्ट्स की राय में निम्नलिखित कदम बेहद जरूरी हैं:
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सायरन सुनते ही खुले में न रहें: तुरंत किसी सुरक्षित जगह जैसे कि बंकर, बेसमेंट या मजबूत दीवारों वाले कमरे में चले जाएं।
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घर के शीशे और दरवाज़े बंद करें: ताकि धमाके की आवाज और शॉक वेव का असर कम हो।
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बिजली और गैस कनेक्शन बंद कर दें: आग या ब्लास्ट की स्थिति में सुरक्षा के लिए जरूरी है।
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मोबाइल नेटवर्क कम हो सकता है: ऐसे में जरूरी नंबर पहले से लिखकर रखें और बैटरी सेव करें।
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रेडियो/टीवी/सरकारी अलर्ट पर ध्यान दें: सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों को फॉलो करें।
क्या बोले रक्षा विशेषज्ञ?
रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा बताते हैं कि,
“आज के आधुनिक युद्धों में हवाई हमले, ड्रोन अटैक और मिसाइल लॉन्च बेहद तेज गति से होते हैं। ऐसे में सायरन सिस्टम का मजबूत नेटवर्क और नागरिकों की जागरूकता बहुत जरूरी है। हर राज्य को अपने स्तर पर बंकर और सिविल डिफेंस ड्रिल करनी चाहिए।”
पूर्व DGMO लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने कहा:
“सिर्फ सेना ही नहीं, नागरिकों की मानसिक और शारीरिक तैयारी भी उतनी ही जरूरी है। स्कूल, कॉलेज और हाउसिंग सोसायटीज़ में मॉक ड्रिल्स होना चाहिए।”
भारत में कहां-कहां है अलर्ट सिस्टम?
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पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर जैसे बॉर्डर इलाकों में कई जगह वॉर सायरन सिस्टम पहले से स्थापित है।
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दिल्ली, मुंबई और अन्य मेट्रो शहरों में आपदा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत यह सिस्टम तैयार किया जा रहा है।
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एयर डिफेंस यूनिट्स और DRDO द्वारा मॉडर्न रडार सिस्टम भी ऐसे खतरों का तुरंत पता लगाने में सक्षम हैं।
क्या तैयारी कर रही है सरकार?
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हाल ही में गृह मंत्रालय ने 7 मई 2025 को मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
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NDMA (National Disaster Management Authority) की निगरानी में सिविल डिफेंस नेटवर्क को मजबूत किया जा रहा है।
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स्कूली स्तर पर भी आपदा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना है।
सजग रहें, सतर्क रहें
भारत-पाक तनाव चाहे जितना भी गहरा हो, आम जनता को घबराने की नहीं, बल्कि जागरूक और तैयार रहने की जरूरत है। युद्ध की स्थिति में सायरन अलर्ट एक जीवनरक्षक संकेत होता है—जो आपकी जान बचा सकता है। सही समय पर सही कदम उठाना ही बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।