भारत-पाक तनाव पर अमेरिका और चीन की चुप्पी: कूटनीति पर ताला?

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भारत-पाक तनाव के बीच रणनीति बनाते भारतीय नेतृत्व — अमेरिका और चीन की चुप्पी पर उठे सवाल

भारत-पाक तनाव के बीच रणनीति बनाते भारतीय नेतृत्व — अमेरिका और चीन की चुप्पी पर उठे सवाल

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव ने न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी झकझोर दिया है। पहलगाम हमले और उसके बाद भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन हमलों की कोशिशें, और भारत की जबरदस्त सैन्य कार्रवाई ने इस संघर्ष को एक नए मोड़ पर ला दिया है। इस बीच अमेरिका, चीन, संयुक्त राष्ट्र और खाड़ी देशों की प्रतिक्रिया या चुप्पी कई अहम सवाल खड़े करती है।

अमेरिका की चुप्पी: रणनीतिक चौंक या सधा हुआ मौन?

अमेरिका ने अभी तक भारत-पाक संघर्ष को लेकर कोई बड़ा आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वॉशिंगटन की यह चुप्पी भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को अप्रत्यक्ष समर्थन के तौर पर देखी जा रही है। अमेरिका को यह भी समझ है कि पाकिस्तान की जमीन पर पनपते आतंकी संगठन अब वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार डॉ. प्रियंका सिंह के अनुसार, “अमेरिका इस बार भारत को खुली छूट देने की नीति पर चल रहा है। पहले जैसी ‘दोनों पक्ष संयम बरतें’ वाली नीति अब फीकी पड़ चुकी है।”

चीन की कूटनीतिक संतुलनबाजी

चीन हमेशा से पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी रहा है, लेकिन मौजूदा हालात में उसकी प्रतिक्रिया बेहद सावधानीभरी रही। चीन ने संयम की अपील तो की है लेकिन पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर खड़ा नहीं हुआ।

जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. विनीत प्रकाश मानते हैं, “चीन नहीं चाहता कि भारत के साथ उसका आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ता पूरी तरह बिगड़ जाए। इसीलिए वह फिलहाल ‘संतुलित चुप्पी’ की नीति पर है।”

संयुक्त राष्ट्र: निंदा तक सीमित

संयुक्त राष्ट्र ने पहलगाम हमले की निंदा जरूर की लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह भारत के लिए कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की यह मौन स्वीकृति यह दर्शाती है कि वैश्विक समुदाय भारत की सैन्य प्रतिक्रिया को उचित मानता है।

खाड़ी देशों का रुख: भारत के पक्ष में झुकाव

संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और बहरीन जैसे खाड़ी देश भारत के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं। हाल के वर्षों में भारत और खाड़ी देशों के बीच आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संबंधों में मजबूती आई है। यही वजह है कि पाकिस्तान को इन देशों से भी अब कोई खुला समर्थन नहीं मिल रहा।

क्या कूटनीति के रास्ते बंद हैं?

फिलहाल सभी बड़ी शक्तियां भारत की कार्रवाई को लेकर सतर्क लेकिन सहमति के स्वर में हैं। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग स्थिति साफ दिख रही है। भारत अब आतंक को युद्ध मानकर निर्णायक नीति पर आगे बढ़ चुका है। कूटनीति के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं, लेकिन अब बातचीत की शर्तें भारत तय करेगा।

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