तवी नदी और सिंधु जल संधि (IWT)

0
तवी नदी

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हमेशा से द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा रही है। इसी कड़ी में भारत ने कुछ दिन पहले एक मानवीय और जिम्मेदार कदम उठाते हुए पाकिस्तान को तवी नदी में संभावित बाढ़ के खतरे के बारे में सचेत किया था। जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश की भविष्यवाणी को देखते हुए भारत ने कूटनीति के जरिए यह जानकारी साझा की ताकि पाकिस्तान बाढ़ से होने वाली संभावित तबाही से पहले ही सचेत रह सके। यह घटना न केवल दोनों देशों के बीच जल प्रबंधन सहयोग की याद दिलाती है बल्कि तवी नदी के सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व को भी उजागर करती है। तो आइए जानते है तवी नदी और सिंधु जल संधि के बारे में…

तवी नदी के बारे में

  • इसका उद्गम कैलाश कुंड ग्लेशियर (भद्रवाह, डोडा जिला, जम्मू और कश्मीर) में कल्पस कुंड से होता है, तवी नदी जम्मू शहर को दो भागों में बांटती है जो शहर का मुख्य जल स्रोत है।
  • तवी नदी चिनाब नदी की बाएं तट की प्रमुख सहायक नदी है।
  • तवी नदी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में प्रवेश करने से पहले यह नदी खाड़ी पहाड़ियों और मैदानों को पार करती हुई चिनाब नदी में मिल जाती है।

तवी नदी का आकार लगभग 141 किलोमीटर है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र 2,168 वर्ग किलोमीटर है और यह जम्मू, उधमपुर और डोडा के एक छोटे से हिस्से में आता है।

महत्व

  1. जम्मू शहर की जीवन रेखा; पेयजल और सिंचाई की आपूर्ति करती है और सांस्कृतिक महत्व रखती है।
  2. इसे स्थानीय परंपरा में सूर्यपुत्री तवी भी कहा जाता है और इसका गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
  3. तवी नदी में पिछले कुछ समय से ठोस अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण तथा सीवेज डाले जाने के कारण नदी की गुणवत्ता खराब हो गयी है।
  4. नदी की मुख्य विशेषता है कि  इसका मार्ग वर्ष भर बदलता रहता है, जिससे खेतों से जल कटाव होता है और उस पर बने तटबंध टूट जाते है।
  5. हाल ही में सरकार द्वारा तवी नदी के विकास के लिए ‘तवी रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट’ भी शुरू किया गया है।

सिंधु जल संधि (IWT), 1960

  • भारत और पाकिस्तान ने विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता तथा लगभग नौ देशों की परस्पर बातचीत के बाद सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसमें विश्व बैंक भी इस संधि का हस्ताक्षरकर्ता था।
  • इसका उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग के संबंध में दोनों देशों के अधिकारों और दायित्वों को निश्चित करना और शांतिपूर्ण सहयोग सुनिश्चित करना।

नदी आवंटन

  • पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) – पाकिस्तान का अधिकार (भारत सिंचाई और जलविद्युत के लिए सीमित उपयोग)
  • पूर्वी नदियां (रावी, व्यास, सतलुज)- भारत का अधिकार
  • सिंधु जल संधि द्वारा लगभग 80% जल पाकिस्तान को और 20% जल भारत को आवंटित किया गया।

दायित्व: दोनों के बीच बाढ़ संबंधी जानकारी साझा करना।

सिंधु जल संधि के अनुसार, आयोग वर्ष में कम-से-कम एक बार नियमित रूप से भारत और पाकिस्तान में बैठक करेगा।

तवी नदी का महत्व सिर्फ जल आपूर्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही ये जम्मू क्षेत्र में सिंचाई का एक प्रमुख स्रोत भी है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच बाढ़ संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान में भी तवी नदी का उल्लेख किया गया है, जो सिंधु जल संधि  एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *