भारत ने की इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की पहली बैठक की मेज़बानी

भारत ने की इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की पहली बैठक की मेज़बानी | भूपेंद्र यादव बने अध्यक्ष
भारत बना बिग कैट संरक्षण का वैश्विक मंच!
नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) की पहली महासभा में भारत ने वन्यजीव संरक्षण में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को एक बार फिर साबित किया। इस ऐतिहासिक बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को संगठन का अध्यक्ष नामित किया गया, जहां 9 देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने शिरकत कर बड़ी बिल्लियों के संरक्षण को लेकर अपने समर्थन की पुष्टि की।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में रूचि रखने वाले देशों वाली एक बहु-देशीय, अंतरसरकारी संगठन है। इसकी शुरुआत भारत सरकार द्वारा 2023 में, प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया था। यह नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस को 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों के लिए 150 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता प्रदान की गई।
- अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस 96 बिग कैट रेंज देशों और गैर- रेंज देशों का एक बहु-देशीय, बहु एजेंसी गठबंधन है जिसका उद्देश्य 7 बिग कैट और उनके आवासों का संरक्षण करना है, किन्तु पांच (भारत, निकारागुआ, इस्वातिनी, सोमालिया,लाइबेरिया) हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा रूपरेखा समझौते की पुष्टि होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस एक संधि आधरित अंतर-सरकारी संगठन बन गया।
- प्रथम महासभा में 9 (भारत, भूटान, कंबोडिया, एस्वतीनी, गिनी, लाइबेरिया, सूरीनाम, सोमालिया) मंत्रिस्तरीय देशों के प्रतिनिधिमंडलो ने भाग लिया, जिन्होंने गठबंधन के प्रति अपने देशों की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के संरक्षण प्रयास उन व्यक्तिगत प्रजातियों को आगे बढ़ाते है, बड़ी बिल्ली जो की खुद में ही मुख्य शिकारी है, की सुरक्षा करके,गठबंधन अप्रत्यक्ष रूप से अन्य पौधों और जानवरों की प्रजातियों की एक विशाल श्रृंखला की रक्षा करता है जो अपने आवासों के सह-अस्तित्व में है।
फोकस प्रजातियां:
सात बड़ी बिल्लियाँ जिसमें बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर, प्यूमा आदि प्रजातियों के संरक्षण पर केंद्रित है। इनमें से पांच प्रजातियां बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता (प्यूमा और जगुआर को छोड़कर) भारत में पाए जाते है।
उद्देश्य:
- सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों से संबंधित अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकना।
- हितधारकों के बीच सहयोग और तालमेल को सुगम बनाना।
- सर्वोत्तम संरक्षण प्रथाओं और ज्ञान साझाकरण एवं सुरक्षा प्रयासों के कार्यान्वयन को समर्थन देने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी संसाधन जुटाना।
- बड़ी बिल्लियों का वैश्विक संरक्षण सुनिश्चित करना तथा इनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
- वन्यजीव संरक्षण में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित करना।
- यह उन नीतिगत पहलों की वकालत करना जो जैव विविधता संरक्षण प्रयासों को स्थानीय आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के साथ सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता हो।
महत्व:
- आईबीसीए का एकीकृत दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि वैश्विक स्तर पर इन प्रजातियों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए सामूहिक कार्यवाई के साथ ही संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को बढ़ावा प्रदान किया जा सके।
- स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र कार्बन सिंक के रूप में भी कार्य करता है जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने तथा साथ ही जैव विविधता संरक्षण में भी योगदान देता है।
- बड़ी बिल्लियों के संरक्षण से स्थानीय समुदायों को लाभ मिल सकेगा तथा उसके साथ ही पर्यटन और आजीविका के नए अवसर खुल जाएगे।
अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस एक महत्वपूर्ण पहल है जो विश्व भर में बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करती है। आईबीसीए को शुरू करने में भारत का नेतृत्व अन्य देशों को वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इसी तरह की पहलों को करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों और हमारे ग्रह के स्वास्थ्य के लिए विश्व की बड़ी बिल्ली प्रजातियों को संरक्षित करने में इस गठबंधन के महत्व को और बल मिलता रहे।