ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम: जब विज्ञान बताएगा कि हम बीमार क्यों पड़ते हैं

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ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम: भारत के स्वास्थ्य संकट पर वैज्ञानिक नजरिया

ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम: भारत के स्वास्थ्य संकट पर वैज्ञानिक नजरिया

ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम: एक ऐतिहासिक कदम

क्या हमारी बीमारी सिर्फ जीन्स की वजह से होती है?… नहीं! भारत में हर 4 में से 1 मौत पर्यावरणीय कारणों से होती है। लेकिन इन खतरों को हम कैसे समझें? हमारे आसपास का वातावरण, प्रदूषण, खानपान, तनाव और जीवनशैली भी हमारे स्वास्थ्य को उतना ही प्रभावित करते हैं। यही समझाने और बदलने के लिए सामने आया है “एक्सपोसोमिक्स” – एक नई वैज्ञानिक दिशा जो अब भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य में भी अपनी जगह बना रही है और एक्सपोसोमिक्स स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने और निवारक रणनीतियों को डिजाइन करने के लिए अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक ढांचे के रूप में उभर रहा है।

एक्सपोसोमिक्स क्या है?

एक्सपोसोमिक्स शब्द “एक्सपोजोम” से बना है, यह पर्यावरणीय जोखिमों (रसायनिक, भौतिक, सामाजिक, मनोसामाजिक वातावरण एवं जैविक) की समग्रता का अध्ययन है, जिसका सामना एक व्यक्ति जीवन के गर्भधारण से मृत्यु तक करता है और ये जोखिम आहार और जीवन शैली और आंतरिक व्यक्तिगत विशेषताओं जैसे कि आनुवंशिकी, शरीर विज्ञान और एपिजेनेटिक्स के साथ मिलकर स्वास्थ्य या बीमारी कैसे उत्पन्न करते हैं।

ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम: पर्यावरणीय स्वास्थ्य में क्रांति की ओर
ह्यूमन एक्सपोसोम फोरम
  • मानव जीनोम परियोजना के प्रभाव के समान, यह रोग में पर्यावरणीय योगदान पर ध्यान केंद्रित करके जीनोमिक्स का पूरक है।
  • इसका उद्देश्य स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभावों की समग्र समझ प्रदान करना है
  • एक्सपोसोमिक्स का अध्ययन पर्यावरणीय जोखिमों और मानव जीव विज्ञान के बीच के संबंध को समझने के लिए किया जाता है, जिसमें जेनेटिक और एपिजेनेटिक प्रभाव भी शामिल है जो बीमारियों के विकास को प्रभावित करते है।
  • यह जीनोमिक्स (genomics) का पूरक है, क्योंकि अकेले आनुवंशिकी <50 % पुरानी बीमारियों के जोखिम को स्पष्ट कर पाती है।
  • पर्यावरणीय रोग भार दर्शाता है कि पर्यावरण के कारण कितनी बीमारी होती है, जबकि एक्सपोसोमिक्स बताता है कि विभिन्न पर्यावरणीय जोखिम स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए जीव विज्ञान के साथ कैसे अन्तर्संबंधित होता है।

एक्सपोसोमिक्स के तकनीकी उपकरण:

  • माइक्रो-फिजियोलॉजिकल सिस्टम: ‘ऑर्गन-ऑन-ए-चिप’ के रूप में भी जाना जाता है, ये जोखिमों की पहचान के लिए जैविक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने हेतु मानव अंग कार्यों की प्रतिकृति तैयार करते हैं।
  • बिग डेटा एवं एआई: कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि उत्पन्न करने के लिए जटिल जोखिम-स्वास्थ्य डेटा को एकीकृत तथा विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • रियल टाइम सेंसर एवं गैर-लक्षित विश्लेषण: पहनने योग्य सेंसर, वास्तविक समय, सेंसर आधारित व्यक्तिगत जोखिम निगरानी एवं अज्ञात पर्यावरणीय रसायनों का पता लगाने के लिए मानव जैव-निगरानी नमूनों पर लागु किया जाता है।

भारत को एक्सपोसोमिक्स की आवश्यकता क्यों है?

  • भारत वैश्विक पर्यावरणीय बीमारी के बोझ का 25 % का लगभग 25% हिस्सा भारत में है, विश्व स्तर पर व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य (OEH) जोखिमों के कारण प्रति वर्ष लगभग 30 लाख मौतें और 10 करोड़ से अधिक बीमारियाँ या स्वास्थ्य समस्याएँ दर्ज की जाती है
  • पर्यावरणीय कारकों से जुड़ी प्रमुख गैर-संक्रामक रोग (NCDs) जैसे कि इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज, फेफड़े के कैंसर आदि के लिए जिम्मेदार होने का अनुमान 50 % से अधिक है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय जोखिम जैसे कि गर्म लहरें, बाढ़ और वेक्टर जनित रोग बढ़ रहे है, ऐसे में एक्सपोसोमिक्स संवेदनशील आबादी पर उनके मिश्रित और सहक्रियात्मक प्रभावों का आलकन करने के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य एकीकरण: एक्सपोसोमिक्स को शामिल करने से राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में पर्यावरणीय जोखिम कारकों को प्राथमिकता देने में मदद मिल सकती है, जिससे रोग निवारण रणनीतियों में सुधार हो सकता है।
  • यह रोग निगरानी जोखिम से संबंधित बीमारियों का शीघ्र पता लगाने में सक्षम बनाता है, कैंसर, श्वसन विकार एवं चयापचय संबंधी बीमारियों जैसी स्थितियों के लिए निगरानी प्रणाली को बढ़ाता है।

एक्सपोसोमिक्स के लिए चुनौतियां:

  1.  एक्सपोजर एनालिटिक्स, बायोमॉनिटरिंग और कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी में सीमित क्षमता बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन में बाधा डालती है।
  2.  पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यक्रमों को कई परिचालन एवं संस्थागत चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  3. विश्लेषणात्मक,पर्यावरणीय एवं सार्वजानिक स्वास्थ्य अवसंरचना में अंतराल के कारण भारत में एक्सपोसोमिक्स डेटा उत्पन्न करने की क्षमता व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है।

संसाधन की कमी: एक्सपोसोमिक्स अनुसंधान के लिए वित्त पोषण और प्रशिक्षित कार्यबल वर्तमान में अपर्याप्त है।

जब भारत पर्यावरणीय रोगों के बढ़ते बोझ का सामना कर रहा है, तब स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने और उन्हें कम करने के लिए पारंपरिक ढांचे से आगे बढ़कर एकीकृत दृटिकोण अपनाने की आवश्यकता है। एक्सपोसोमिक्स एक उभरता हुआ विज्ञान है जो मानव स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय जोखिमों के प्रभाव का अध्ययन करता है।

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