Google Chrome यूजर्स सावधान! CERT-In की चेतावनी, तुरंत अपडेट करें ब्राउज़र वरना हो सकता है बड़ा साइबर हमला

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Google Chrome

नई दिल्ली। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम ऑफ इंडिया (CERT-In) ने लाखों Google Chrome डेस्कटॉप यूजर्स को अलर्ट करते हुए तुरंत ब्राउज़र अपडेट करने की सख्त सलाह दी है। यह चेतावनी इसलिए जारी की गई है क्योंकि Chrome में ऐसी कई खामियां (Vulnerabilities) मिली हैं, जिनका फायदा उठाकर साइबर अटैकर्स आपके सिस्टम में मैलिशियस कोड डाल सकते हैं, सिस्टम को क्रैश कर सकते हैं या आपकी निजी और संवेदनशील जानकारी चुरा सकते हैं।

साइबर सिक्योरिटी वॉचडॉग ने बताया कि Windows और MacOS के लिए Google Chrome वर्जन 139.0.7258/.128 से पहले और Linux के लिए 139.0.7258.127 से पहले के वर्जन सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इन पुराने वर्जन का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स पर हैकिंग का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है।

हैकर्स का नया तरीका

CERT-In के मुताबिक, हैकर्स यूजर्स को धोखे से स्पेशली डिज़ाइन की गई वेबसाइट्स विजिट कराने या मैलिशियस लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करते हैं। एक बार यूजर लिंक पर क्लिक कर दे, तो अटैकर्स बिना अनुमति के उसकी फाइल्स, पासवर्ड और अन्य प्राइवेट डाटा एक्सेस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, वे सिस्टम में ऐसे प्रोग्राम चला सकते हैं जिससे आपका डिवाइस क्रैश हो सकता है।

कितने बग मिले और कितना खतरा?

Google ने खुद पुष्टि की है कि कुल 5 सिक्योरिटी बग्स मिले हैं, जिनमें से 3 हाई रिस्क और 2 मीडियम रिस्क लेवल पर हैं। कंपनी ने तुरंत सुरक्षा पैच जारी कर दिया है और यूजर्स से लेटेस्ट वर्जन इंस्टॉल करने की अपील की है।

Windows, Mac और Linux में Chrome कैसे अपडेट करें?

  1. Google Chrome ओपन करें।

  2. Settings > Help > About Google Chrome पर जाएं।

  3. यहां Chrome ऑटोमैटिकली अपडेट्स चेक करेगा।

  4. लेटेस्ट वर्जन इंस्टॉल होने के बाद ब्राउज़र को रीस्टार्ट करें।

Google के मुताबिक, Windows और Mac यूजर्स के लिए अपडेट पहले से लाइव है, जबकि Linux यूजर्स को अपडेट आने वाले दिनों में मिलेगा

भविष्य में सुरक्षित रहने के टिप्स

CERT-In ने सलाह दी है कि यूजर्स ऑटोमैटिक अपडेट्स ऑन रखें, ताकि हर नया सिक्योरिटी पैच तुरंत इंस्टॉल हो सके। साथ ही, सिस्टम के असामान्य व्यवहार पर नजर रखें, जैसे —

  • डिवाइस का अचानक स्लो हो जाना

  • अनचाहे पॉप-अप्स आना

  • बिना अनुमति के प्रोग्राम चलना

अगर ऐसा कुछ दिखे तो तुरंत डिवाइस स्कैन करें और पासवर्ड बदल दें।

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