गवरी महोत्सव 2025: राजस्थान के मेवाड़ का भील समुदाय का अनोखा लोक अनुष्ठान

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गवरी महोत्सव 2025

गवरी, गवरी जिसे राई नृत्य भी कहा जाता है, राजस्थान के मेवाड़ में भील समुदाय का वार्षिक अनुष्ठान और लोक उत्सव है। यह मेवाड़ क्षेत्र में मनाया जाने वाला गवरी उत्सव भील समुदाय की सांस्कृतिक आत्मा का जीवंत प्रतीक है। ये 40 दिवसीय अनुष्ठानात्मक उत्सव न केवल उनकी आराध्य देवी गोरखिया माता के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि नृत्य-नाटकों, लोकगीतों और आध्यत्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से जीवंत परंपरा का प्रदर्शन भी है। गवरी न केवल एक त्यौहार है, बल्कि एक सांस्कृतिक खनिज भी है।

गवरी महोत्सव 2025

गवरी उत्सव के बारे में:

  • गवरी महोत्सव एक धार्मिक यात्रा भी है और एक सामाजिक बंधन भी है, इसकी शुरुआत रक्षाबंधन की पूर्णिमा के बाद होती है।
  • यह पर्व पार्वती के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें भील समुदाय स्नेहपूर्वक अपनी बहन मानता है।
  • यह हिंदू महीने श्रावण और भाद्रपद (जुलाई- सितंबर) के दौरान मनाया जाता है, जो मानसून और फसल के समय के साथ मेल खाता है।
  • यह उत्सव आध्यात्मिक विश्वास और सामाजिक एकता में गहराई से संबंधित होता है।
  • पुरुष भील पौराणिक कथाओं पर आधारित अनुष्ठान नाटक प्रस्तुत करते है तथा एक महीने से अधिक समय तक भील कलाकारों के दल उदयपुर और आस-पास के जिलों में गाँव-गाँव जाकर खेल एवं पारंपरिक नृत्य-नाटकों का मंचन करते है, जो धार्मिक भक्ति और सांस्कृतिक कथा-वाचन का अद्भुत संगम है।
  • इसमें सभी पात्र पुरुषों द्वारा किए जाते है, न की महिलाओं द्वारा इसके अतिरिक्त यह नृत्य मूकाभिनय और संवाद का कुशलतापूर्वक संयोजन करती है, जिसे गवरी या राई नाच के नाम से जाना जाता है।
  • यह नृत्य ऊर्जावान पृष्ठभूमि संगीत और रंग-बिरंगे परिधान इस जगह को और उत्साह से भर देते है।
  • नाटक मुख्य रूप से देवी गौरी और अच्छाई एवं बुराई के बीच युद्ध को दर्शाता है।

गवरी उत्सव का धार्मिक एवं सामाजिक महत्व:

  • यह उत्सव भील समुदाय की धार्मिक एवं सामाजिक संरचना, सांस्कृतिक मूल्यों और पहचान को दर्शाता है।
  • इसकी प्रस्तुतियाँ गोरखिया माता को समर्पित होती है, जो भील समुदाय की संरक्षिका और आध्यत्मिक मार्गदर्शिका मानी जाती है।
  • इसकी वेशभूषा, अनुष्ठान और नाटक राष्ट्रीय दर्शकों के लिए दुर्लभ सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करते है ।
  • यह उत्सव विभिन्न गांवो को एक सूत्र में बांधता है, जहां हर प्रस्तुत लोगों को जोड़ने, देखने और उल्लास मनाने का अवसर मिलता है।
  • गवरी उत्सव वर्ष 2025 में पहली बार इस रंग-बिरंगी सांस्कृतिक धरोहर को भारत अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र की आर्ट गैलरी में एक फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से व्यापक दर्शकों तक पहुँचाया गया।

गवरी महोत्सव 2025

भील समुदाय के बारे में

  • भील समुदाय भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति है, जो विभिन्न राज्यों में फैली हुई है।
  • भील पश्चिमी भारत की एक द्रविड़ जनजाति है, जिसे ऑस्ट्रेलॉयड जनजाति समूह का हिस्सा माना जाता है।
  • यह भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक, मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में और बिहार के कुछ हिस्सों पर शासन करते थे।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में भीलों की जनसंख्या लगभग 7 करोड़ है। भील मध्य प्रदेश की सबसे अधिक आबादी वाली जनजाति है।
  • अपनी विशिष्ट भाषा (भीली), जीववादी- हिंदू मान्यताओं और प्रकृति के साथ गहरे सांस्कृतिक संबंधों के लिए जाने जाते है।
  • हाल के वर्षों में, उन्होंने एक अलग राज्य, भील प्रदेश की मांग की है।
  • इनकी वंशावली भगवान शिव और पार्वती (गौरी) से जुड़ी मानी जाती है।

गवरी महोत्सव सिर्फ एक वार्षिक आयोजन ही नहीं बल्कि मौखिक इतिहास, लोक साहित्य और आदिवासी मूल्यों का जीवित संग्रह है। इसके गीतों, नृत्यों और कथाओं के माध्यम से भील भाषा और परंपराओं का संरक्षण होता है तथा ऐतिहासिक स्मृति नई पीढ़ी को हस्तांतरित होती है एवं समुदाय की एकता और गौरव को भी बल मिलता है।

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