रूसी एयरबेस पर तबाही: FPV ड्रोन हमले से क्यों फेल हो गया रूस का डिफेंस सिस्टम?

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4000 KM दूर से आया ‘उड़ता बम’, रूसी एयरबेस पर तबाही मचा दी!

4000 KM दूर से आया ‘उड़ता बम’, रूसी एयरबेस पर तबाही मचा दी!

मॉस्को/कीव – यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने एक बार फिर सैन्य रणनीति की दुनिया को चौंका दिया है। इस बार यूक्रेन ने एक ऐसा युद्ध कौशल दिखाया है, जिसने रूस के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले एयरबेस को भी हिला कर रख दिया। ख़बरों के मुताबिक, यूक्रेन ने करीब 4000 किलोमीटर की दूरी तय करके ट्रकों के जरिए FPV ड्रोन का भारी जखीरा सीमावर्ती इलाके तक पहुँचाया और फिर एक समन्वित हमले में इन ड्रोनों का इस्तेमाल कर रूसी एयरबेस को निशाना बनाया

क्या हुआ हमले में?

हमले में कम-से-कम दो बड़े रूसी एयरबेस पर तबाही मचाई गई, जिसमें लड़ाकू विमानों, रडार सिस्टम और ईंधन भंडार को नुकसान पहुंचा। सोशल मीडिया और सैन्य सूत्रों से मिले वीडियो फुटेज में यह देखा गया कि कैसे FPV (First Person View) ड्रोन सीधे रूसी ठिकानों पर जाकर टकराए, और भारी विस्फोट हुए।

FPV ड्रोन का खुफिया लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन

यह ऑपरेशन जितना टेक्निकल था, उतना ही रणनीतिक भी। यूक्रेन ने इन छोटे लेकिन खतरनाक ड्रोनों को ट्रकों के माध्यम से करीब 4000 किलोमीटर दूर रूसी सीमा के पास भेजा, जिससे रूस के एयर सर्विलांस सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगी। वहां से इन ड्रोन को लॉन्च किया गया — इस कदम ने रूस की खुफिया और रक्षा प्रणाली की चूलें हिला दीं।

FPV ड्रोन क्या होते हैं?

FPV ड्रोन वो होते हैं जिन्हें ऑपरेटर एक कैमरे के ज़रिए रियल टाइम में कंट्रोल करता है, जैसे वो खुद उस ड्रोन में बैठा हो। ये सस्ते, हल्के और तेज़ होते हैं। इनमें बम, विस्फोटक या ग्रेनेड जैसे छोटे हथियार फिट किए जाते हैं, और इन्हें बेहद सटीकता से किसी टारगेट पर गिराया जा सकता है।

रूसी डिफेंस सिस्टम क्यों फेल हुआ?

रूस के आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे कि Pantsir-S1 और Tor-M2 इन FPV ड्रोन को समय पर ट्रैक नहीं कर सके। इसके कई कारण हैं:

  • FPV ड्रोन बहुत छोटे होते हैं, जिससे ये रडार पर पकड़ में नहीं आते।

  • ये बेहद नीची ऊंचाई पर उड़ते हैं, जिससे ग्राउंड-रेडार इन्हें डिटेक्ट नहीं कर पाते।

  • इनका GPS सिग्नल कमजोर या जामप्रूफ होता है, जिससे इन्हें इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से रोकना मुश्किल होता है।

रूस की बड़ी खामियां उजागर

इस हमले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रूस का बहुप्रचारित डिफेंस सिस्टम आधुनिक युद्ध तकनीकों से तालमेल नहीं बिठा पा रहा है? और अगर नहीं, तो क्या यह यूक्रेन के पक्ष में युद्ध का टर्निंग पॉइंट बन सकता है?

ग्लोबल इम्पैक्ट

  • इस हमले ने दुनिया भर की सेनाओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि छोटे, सस्ते और स्मार्ट हथियार पारंपरिक हथियारों से अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं।

  • भारत, अमेरिका, चीन सहित कई देश अब FPV ड्रोन तकनीक को गंभीरता से लेने लगे हैं।

इस पूरी घटना ने यह साफ कर दिया है कि आधुनिक युद्ध में अब सिर्फ मिसाइलें और टैंक ही काफी नहीं हैं। जंग अब तकनीक से लड़ी जा रही है — और जीती भी जा रही है। यूक्रेन का यह हमला रूस के लिए चेतावनी है और बाकी दुनिया के लिए एक सबक।

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