Diwali 2025: दिवाली पर पुरानी लक्ष्मी-गणेश मूर्तियों का क्या करें? जानिए सही तरीका और धार्मिक नियम

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Diwali 2025: दिवाली पर पुरानी लक्ष्मी-गणेश मूर्तियों का क्या करें? जानिए सही तरीका और धार्मिक नियम

Diwali 2025: दीपावली का पर्व पूरे भारत में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रोशनी और मिठाइयों का त्योहार नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन भी है। हर साल लोग नई मूर्तियां घर लाकर लक्ष्मी-गणेश की विधिवत पूजा करते हैं, लेकिन एक सवाल हर बार मन में उठता है —

“पुरानी मूर्तियों का क्या करें?”
क्या उन्हें फेंकना चाहिए?
या उन्हें किसी खास तरीके से विसर्जित करना चाहिए?
आइए जानते हैं धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रीय नियमों के अनुसार इसका सही तरीका।

क्यों बदली जाती हैं लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, दिवाली पर नई मूर्तियां घर में नई ऊर्जा, समृद्धि और सकारात्मकता लेकर आती हैं।
समय के साथ पुरानी मूर्तियों में ऊर्जा का क्षय (loss of divine vibrations) हो जाता है, इसलिए उन्हें बदलकर नई मूर्तियां स्थापित करना शुभ माना जाता है।
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पुरानी मूर्तियों का अनादर किया जाए।

धातु और मिट्टी की मूर्तियों के लिए अलग-अलग नियम

मूर्तियों की धातु के अनुसार उनका विसर्जन या स्थानांतरण अलग-अलग तरीके से किया जाता है। आइए जानते हैं—

1. मिट्टी (क्ले या टेराकोटा) की मूर्तियां

  • मिट्टी की मूर्तियों को बहते पानी में विसर्जित करना सबसे उचित तरीका है।

  • अगर आसपास नदी या तालाब न हो तो घर में किसी गमले या बाल्टी में जल भरकर विसर्जन किया जा सकता है।

  • विसर्जन के बाद जल को पेड़-पौधों में डालना शुभ माना गया है।

  • विसर्जन करते समय “ॐ नमः भगवते लक्ष्मी-गणेशाय नमः” मंत्र बोलें और सम्मानपूर्वक विदाई दें।

2. धातु (ब्रास, कॉपर या सिल्वर) की मूर्तियां

  • धातु की मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाता

  • इन्हें साफ़ करके किसी पूजा स्थल, मंदिर या तिजोरी में सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए।

  • कुछ लोग पुरानी धातु मूर्तियों को मंदिर में दान कर देते हैं — यह भी अत्यंत शुभ माना गया है।

  • आप इन्हें कपड़े में लपेटकर पूजन कक्ष के उत्तर या पूर्व दिशा में रख सकते हैं।

भूलकर भी न करें ये गलतियां

  1. पुरानी मूर्तियों को कूड़े में या सड़क पर न फेंकें।
    यह धार्मिक दृष्टि से बड़ा अपमान माना जाता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

  2. मूर्तियों को बिना स्नान कराए या मंत्रोच्चारण के विसर्जित न करें।
    पहले जल से अभिषेक कर उन्हें विदाई देना जरूरी है।

  3. दो मूर्तियों को एक साथ पूजन स्थल पर न रखें।
    नई मूर्ति लाने से पहले पुरानी मूर्ति को विधिपूर्वक विसर्जित या स्थानांतरित करें।

  4. मूर्तियों पर टूटी या खंडित स्थिति में पूजा न करें।
    खंडित मूर्तियां घर में रखना अशुभ माना जाता है।

मूर्तियों की विदाई का सही तरीका (Step-by-Step)

  1. पहले नई मूर्तियों को पूजा स्थान पर रखें।

  2. पुरानी मूर्तियों को हल्के गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

  3. फूल, अक्षत और दीप अर्पित करें।

  4. “माता लक्ष्मी और भगवान गणेश, आपकी कृपा बनी रहे” इस भाव से प्रार्थना करें।

  5. फिर मूर्तियों को मंदिर, जल या मिट्टी में विसर्जित करें (जैसा उपयुक्त हो)।

शास्त्रों के अनुसार फल

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति आदरपूर्वक पुरानी मूर्तियों का विसर्जन करता है, उसके घर में देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।
ऐसा करने से परिवार में धन, सुख और मानसिक शांति आती है।
वहीं जो लोग मूर्तियों का अपमान करते हैं, उन्हें अशुभ परिणाम झेलने पड़ते हैं।

दिवाली के इस शुभ अवसर पर नई मूर्तियों की स्थापना जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही महत्वपूर्ण है पुरानी मूर्तियों का सम्मानपूर्वक विसर्जन
मूर्तियां सिर्फ प्रतीक नहीं हैं — वे भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का माध्यम हैं।
इसलिए उन्हें प्रेम, सम्मान और विधि-विधान से विदा करें ताकि घर में लक्ष्मी-गणेश की कृपा सदा बनी रहे।

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