नई दिल्ली : दिल्ली में यमुना नदी की सफाई को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। भाजपा की रेखा सरकार ने सत्ता में आने के बाद यमुना को साफ करने की दिशा में ठोस पहल की है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने राजधानी में यमुना और उसके प्रमुख नालों पर 32 रियल-टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का फैसला किया है। इन स्टेशनों की मदद से सरकार 24×7 यमुना में गिर रहे प्रदूषित पानी की निगरानी कर सकेगी।
यह परियोजना करीब 22 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही है और इसका उद्देश्य यमुना में प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों की सटीक पहचान कर उन्हें समय रहते नियंत्रित करना है।
क्या-क्या होगा मॉनिटर?
पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने बताया कि मॉनिटरिंग सिस्टम पानी में मौजूद खतरनाक प्रदूषकों की जांच करेगा, जिनमें शामिल हैं:
-
बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) – पानी में जीवों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा
-
केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) – रासायनिक प्रदूषण का स्तर
-
टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स (TSS) – पानी में घुले ठोस कण
-
कुल नाइट्रोजन (नाइट्रेट और नाइट्राइट)
-
कुल फॉस्फोरस
-
अमोनिया – जो पानी को विषैला बना देता है
कहां लगेंगे मॉनिटरिंग स्टेशन?
यमुना नदी के 10 प्रमुख स्थल:
-
पल्ला
-
ISBT ब्रिज
-
ITO ब्रिज
-
निजामुद्दीन ब्रिज
-
ओखला बैराज
-
और अन्य रणनीतिक लोकेशन
22 प्रदूषित नाले:
-
नजफगढ़ नाला
-
मेटकॉफ हाउस नाला
-
खैबर पास नाला
-
स्वीपर कॉलोनी नाला
-
सिंघु बॉर्डर का DD6 नाला (सोनीपत)
-
बहादुरगढ़, साहिबाबाद, शाहदरा, बनठिया आदि से जुड़े नाले
कैसे करेगा यह सिस्टम काम?
एक विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा स्थापित किए जाने वाले इन मॉनिटरिंग स्टेशनों में अत्याधुनिक इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तकनीक वाले उपकरण लगाए जाएंगे, जो हर पल यमुना और नालों के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करेंगे। डेटा सीधे DPCC के सर्वर पर भेजा जाएगा और वर्ष के अंत तक यह सिस्टम पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा।
यमुना सफाई क्यों है जरूरी?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यमुना का केवल 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा (वज़ीराबाद से ओखला तक) दिल्ली में नदी की कुल लंबाई का सिर्फ 2% है, लेकिन यहीं पर 80% प्रदूषण केंद्रित है। इसके पीछे मुख्य वजहें हैं:
-
झुग्गियों और अवैध कॉलोनियों से सीधे गिरने वाला अपशिष्ट जल
-
अक्षम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) और CETP
-
गंदगी का बिना उपचार सीधे नदी में गिरना
सरकार को उम्मीद है कि इस रियल-टाइम सिस्टम की मदद से प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।
जहां पहले यमुना की सफाई केवल चुनावी वादों तक सीमित थी, वहीं अब भाजपा की नई सरकार ने इसे प्राथमिकता में रखते हुए ठोस एक्शन की शुरुआत कर दी है। यदि यह प्रणाली सफल होती है, तो यह न केवल यमुना को जीवनदान दे सकती है, बल्कि दिल्ली के पर्यावरण के लिए भी एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है।