दिल्ली में सड़क सुरक्षा: आंकड़े और सुधार, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार

नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार जागरूकता और सुधार की कोशिशों के बावजूद, दिल्ली की सड़कों पर खतरे की लकीर अभी भी बनी हुई है। तेज रफ्तार, लापरवाही और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन अब भी बड़ी चिंता का कारण है। हालांकि, 2025 के पहले छह महीनों में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन कुछ इलाकों में स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है।
2025 में सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी: 677 मौतें
जनवरी से जून 2025 तक, दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं में 677 लोग अपनी जान गवा चुके हैं। पिछले साल इसी समय में यह आंकड़ा 764 था, जो इस साल लगभग 10% घटा है। हालांकि, यह कमी हर जिले में समान रूप से नहीं देखी जा रही है। कुछ इलाकों में दुर्घटनाओं में कमी आई है, लेकिन कुछ इलाकों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
सेंट्रल दिल्ली में बदलाव: दुर्घटनाओं में हुई कमी
सेंट्रल दिल्ली में सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है। लाल किला और ISBT कश्मीरी गेट के आसपास सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट आई है। यहाँ पर सड़क किनारे ग्रिल और U-टर्न बैरियर लगाने के बाद घटनाओं में कमी आई है। जहां पहले यह आंकड़ा 39 था, वहीं अब यह घटकर 17 हो गया है।
नई दिल्ली: सुरक्षित इलाका
नई दिल्ली जिला, जिसमें VIP क्षेत्र जैसे कर्तव्य पथ और चाणक्यपुरी शामिल हैं, अभी भी दिल्ली के सबसे सुरक्षित इलाकों में से एक है। यहां दुर्घटनाओं की संख्या 20 से घटकर 19 हो गई है।
आउटर नॉर्थ में खतरे का बढ़ा आंकड़ा
दिल्ली के आउटर नॉर्थ इलाके में, जिसमें नरेला, बवाना और अलीपुर जैसे इलाके आते हैं, दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि देखी गई है। यहाँ पर 93 से बढ़कर 97 दुर्घटनाएं हुई हैं और मौतों की संख्या भी बढ़कर 103 हो गई है। तेज रफ्तार ट्रकों और नियमों का उल्लंघन इस स्थिति के प्रमुख कारण हैं।
दिल्ली के अन्य इलाकों की स्थिति
-
साउथ वेस्ट दिल्ली: वसंत विहार, IGI एयरपोर्ट और कापसहेड़ा जैसे इलाकों में दुर्घटनाओं में कमी आई है। इस साल यहाँ 73 लोगों की जान गई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 80 था।
-
वेस्ट दिल्ली: राजौरी गार्डन और पंजाबी बाग जैसे व्यस्त इलाकों में दुर्घटनाओं की संख्या 64 से घटकर 69 हो गई है।
सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की बढ़ती संख्या
हालाँकि, दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या में कुछ कमी आई है, लेकिन घायलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। 2024 में जहाँ घायलों की संख्या 2,566 थी, वहीं इस साल यह बढ़कर 2,617 हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संख्या बढ़ने का कारण सड़क पर मौजूद डिलीवरी वाले लोग, टू-व्हीलर सवार और पैदल चलने वाले लोग हैं, जो दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं और गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं।
कुल मिलाकर सड़क सुरक्षा पर ध्यान देना अभी भी जरूरी
दिल्ली में सड़क सुरक्षा में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह सड़क सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करवाए और जनता को भी जागरूक करे ताकि दिल्ली की सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।