Chandra Grahan 2025: कल का चंद्रग्रहण बदल देगा दिनचर्या! जानें क्यों है इतना खास ये खगोलीय घटना

Chandra Grahan 2025: इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण 7 सितंबर, रविवार की रात को लगने जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा। सूतक काल रविवार दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर ग्रहण समाप्ति तक रहेगा। इस दौरान पूजा-पाठ, देवी-देवताओं की प्रतिमा को स्पर्श करना और मंदिर दर्शन वर्जित रहेगा।
चंद्रग्रहण का समय
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ग्रहण प्रारंभ: रात 9:57 बजे
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ग्रहण समाप्त: रात 1:26 बजे
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कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 29 मिनट
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सूतक काल: दोपहर 12:57 बजे से
सूतक काल में क्या न करें?
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पूजा-पाठ, मंत्र-जप और देवी-देवताओं की मूर्ति का स्पर्श वर्जित है।
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तुलसी के पत्ते तोड़ने की मनाही होती है।
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गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
Chandra Grahan 2025: 82 मिनट तक रहेगा पूर्ण चंद्रग्रहण
सितंबर 2025 में लगने वाला यह पूर्ण चंद्रग्रहण 82 मिनट तक चलेगा, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा। इस खगोलीय घटना का नज़ारा न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप के कुछ हिस्सों, नॉर्थ अमेरिका के वेस्टर्न रीजन, साउथ अमेरिका के ईस्टर्न रीजन और अफ्रीका से भी देखा जा सकेगा। दिल्ली के नेहरू तारामंडल में इस अवसर पर खास ‘चंद्र मेला’ का आयोजन होगा।
कैसे होता है चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस दौरान पृथ्वी अपनी छाया चंद्रमा पर डालती है, जिससे चंद्रमा पूरी तरह ढक जाता है। खगोलविदों के अनुसार, यह सितंबर का पूर्ण चंद्रग्रहण हाल के वर्षों का सबसे लंबा ग्रहण होगा, जो पूरे 1 घंटा 22 मिनट तक दिखाई देगा।
क्यों दिखता है लाल चांद (Blood Moon)?
पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा अक्सर गहरे लाल रंग का दिखने लगता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह घटना पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने वाली सूर्य की किरणों के अपवर्तन और बिखराव की वजह से होती है। यही कारण है कि इस बार भी चांद का रूप बेहद अनोखा और रहस्यमयी नज़र आएगा।
श्राद्ध पक्ष की होगी शुरुआत
ग्रहण के साथ ही कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) भी शुरू हो रहा है। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान, दान और श्राद्ध कर्म किए जाएंगे। धार्मिक मान्यता है कि इस समय किए गए कर्मों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। इस ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है। इसलिए श्रद्धालुओं को ग्रहण काल और सूतक नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।