चैत्र नवरात्रि 2025: मां ब्रह्मचारिणी और मां चंद्रघंटा पूजा विधि, मंत्र और पौराणिक कथा

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चैत्र नवरात्रि 2025: मां ब्रह्मचारिणी और मां चंद्रघंटा पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि 2025

Chaitra Navratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि पर चैत्र नवरात्र के व्रत रखे जाते हैं। इन नौ दिनों के दौरान, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तगण व्रत का पालन करते हैं। इस वर्ष एक तिथि के क्षय के कारण नवरात्रि 9 दिनों के बजाय 8 दिनों तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचरिणी की पूजा का विधान है और तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। पंचांग के अनुसार नवरात्र का द्वितिया और तृतीया तिथि एक ही दिन है, इस प्रकार मां के दूसरे और तीसरे स्वरूप की पूजा एक ही दिन पड़ रही है।

पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी

मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ- ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ये हिमालय की पुत्री थीं तथा नारद के उपदेश के बाद भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया। जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है। माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

मां चंद्रघंटा

प्रचलित कथा के अनुसार, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का देवताओं के साथ भयंकर युद्ध चल रहा था। महिषासुर का लक्ष्य देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना था और वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा से युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस मंशा का ज्ञान हुआ, तो वे चिंतित हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की व्यथा सुनकर क्रोध प्रकट किया, जिससे उनके मुख से ऊर्जा निकली। इस ऊर्जा से एक देवी प्रकट हुईं। भगवान शंकर ने उन्हें अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने घंटा, सूर्य ने तेज और तलवार तथा सिंह प्रदान किया। इसके पश्चात मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की।

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि- Maa Brahmcharini Pujan Vidhi:

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं।

माता चंद्रघंटा की पूजा विधि- Maa Chandraghanta Pujan Vidhi:

मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को गंगाजल से साफ करें, देवी को जल, फूल, अक्षत, सिंदूर, और लाल चंदन अर्पित करें, भोग में दूध से बनी मिठाई या खीर चढ़ाएं, मंत्रों का जाप करें, आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

माता ब्रह्मचारिणी के मंत्रः (Mata Brahmcharini Mantra)

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमाः

माता चंद्रघंटा के मंत्र (Mata Chandraghanta Mantra)

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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