नई दिल्ली – बीटेक लंबे समय से भारत में सबसे लोकप्रिय और इन-डिमांड प्रोफेशनल कोर्स में गिना जाता रहा है। सिविल, केमिकल, मैकेनिकल, कंप्यूटर साइंस और पेट्रोलियम जैसे ब्रांचेस में हर साल लाखों स्टूडेंट्स एडमिशन लेते हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी में तेज बदलाव, इंडस्ट्री की बदलती जरूरतें और जॉब मार्केट के ट्रेंड्स ने अब बीटेक के कुछ ट्रेडिशनल कोर्सेस की चमक फीकी कर दी है।
आज कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों की डिमांड बढ़ गई है, वहीं सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल जैसे कोर्सेस में स्टूडेंट्स की रुचि घटती जा रही है। आइए जानते हैं किन-किन बीटेक ब्रांचेस की वैल्यू में गिरावट दर्ज हो रही है और क्यों स्टूडेंट्स अब इनसे दूरी बना रहे हैं।
- सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)
- कभी सबसे प्रतिष्ठित ब्रांच मानी जाने वाली सिविल इंजीनियरिंग में आज जॉब्स की संभावनाएं सीमित होती जा रही हैं।
- सरकारी क्षेत्रों में अभी भी अवसर हैं, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ग्रोथ धीमी है।
- साइट वर्क और फील्ड जॉब्स के कारण युवाओं का झुकाव घटा है।
- ऑटोमेशन (जैसे BIM तकनीक) ने पारंपरिक नौकरियों को भी प्रभावित किया है।
वैकल्पिक सलाह: डेटा एनालिटिक्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट या एमबीए के जरिये करियर को नई दिशा दी जा सकती है।
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
- मशीनरी और प्रोडक्शन से जुड़ी यह कोर ब्रांच भी बदलते वक्त की मार झेल रही है।
- ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के चलते पारंपरिक मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां घटी हैं।
- आईटी सेक्टर की ओर तेजी से माइग्रेशन हो रहा है।
- शुरुआती सैलरी अन्य ब्रांचेस की तुलना में कम है।
वैकल्पिक सलाह: रोबोटिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी या ऑटोमेशन में विशेषज्ञता प्राप्त करें।
- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)
- पावर और एनर्जी सेक्टर की रीढ़ रही यह ब्रांच भी अब संघर्ष कर रही है।
- कोर सेक्टर में सरकारी नौकरियों पर निर्भरता ज्यादा है।
- स्मार्ट ग्रिड और रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बदलाव के बावजूद कॉलेज सिलेबस आउटडेटेड है।
- ज्यादातर ग्रेजुएट्स को आईटी सेक्टर में शिफ्ट होना पड़ता है।
वैकल्पिक सलाह: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, स्मार्ट एनर्जी सिस्टम्स और GATE जैसी परीक्षाओं पर फोकस करें।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE)
- ईसीई ब्रांच भी अब आईटी और सॉफ्टवेयर सेक्टर के साये में दबती जा रही है।
- हार्डवेयर से ज्यादा अब क्लाउड और सॉफ्टवेयर स्किल्स की मांग है।
- कोर जॉब्स जैसे VLSI और एम्बेडेड सिस्टम्स में अवसर सीमित हो गए हैं।
- कई कॉलेजों का सिलेबस AI, IoT और 5G को अपडेट नहीं कर पाया है।
वैकल्पिक सलाह: IoT, 5G, या AI में एडवांस्ड स्किल्स डेवलप करें।
- केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)
- भारत में केमिकल इंडस्ट्री का ग्रोथ स्लो है।
- फार्मा और पेट्रोकेमिकल सेक्टर में भी जॉब्स सीमित हैं।
- कोर जॉब्स के बजाय स्टूडेंट्स को मैनेजमेंट या सेल्स प्रोफाइल्स चुननी पड़ रही हैं।
वैकल्पिक सलाह: बायोटेक्नोलॉजी, एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग या डेटा साइंस में शिफ्ट करें।
- प्रोडक्शन और इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट के चलते इस ब्रांच की मांग घटी है।
- इंडस्ट्री 4.0 की ओर बढ़ते बदलाव ने ट्रेडिशनल प्रोडक्शन प्रोफाइल्स को कमजोर कर दिया है।
- कई ग्रेजुएट्स अब सप्लाई चेन मैनेजमेंट या लॉजिस्टिक्स में करियर बना रहे हैं।
वैकल्पिक सलाह: लॉजिस्टिक्स, सप्लाई चेन और डेटा एनालिटिक्स जैसे नए क्षेत्रों में कदम बढ़ाएं।
क्यों घट रही है कुछ बीटेक ब्रांचेस की वैल्यू?
- आईटी सेक्टर का उभार: कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस, और AI ने करियर का नक्शा बदल दिया है।
- आउटडेटेड सिलेबस: पुराने सिलेबस से स्टूडेंट्स इंडस्ट्री रेडी नहीं हो पाते।
- ऑटोमेशन: टेक्नोलॉजी ने कोर इंजीनियरिंग नौकरियों को कम कर दिया है।
- ज्यादा सप्लाई, कम डिमांड: हर साल लाखों इंजीनियर बनने से प्रतियोगिता बढ़ी है।
- कम सैलरी और फील्डवर्क: कोर जॉब्स में सैलरी कम और वर्किंग कंडीशंस चुनौतीपूर्ण हैं।
कैसे बढ़ाएं बीटेक डिग्री की वैल्यू?
- नई स्किल्स सीखें: कोडिंग, डेटा साइंस, IoT, ब्लॉकचेन में खुद को अपग्रेड करें।
- इंडस्ट्री प्रोजेक्ट्स करें: इंटर्नशिप और लाइव प्रोजेक्ट्स से अनुभव बढ़ाएं।
- उभरते क्षेत्रों में जाएं: रिन्यूएबल एनर्जी, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन में स्पेशलाइजेशन करें।
- GATE या MBA करें: पीएसयू या मैनेजमेंट में अच्छे करियर विकल्प पाएं।
टेक्नोलॉजी के इस तेजी से बदलते युग में बीटेक स्टूडेंट्स को सिर्फ डिग्री के भरोसे नहीं रहना चाहिए।
नई स्किल्स सीखना और उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करना ही भविष्य में सफलता की कुंजी होगी।