पाकिस्तान ने भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को 21 दिन की हिरासत के बाद रिहा कर दिया है। यह घटनाक्रम अटारी-वाघा बॉर्डर पर बुधवार को हुआ, जहां पाकिस्तान ने भारतीय जवान को भारत के हवाले किया और भारत ने भी एक पाकिस्तानी रेंजर्स के जवान को रिहा किया। यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने और आपसी विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
हिरासत की शुरुआत और बीएसएफ की प्रतिक्रिया
पूर्णम कुमार शॉ 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे। पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में लिया। भारत सरकार और बीएसएफ ने उच्चस्तरीय प्रयासों के माध्यम से उनकी रिहाई के लिए पाकिस्तान से संपर्क किया। बीएसएफ के महानिदेशक दलजीत चौधरी ने आश्वासन दिया था कि जवान सुरक्षित हैं और उनकी रिहाई के प्रयास जारी हैं ।
पूर्णम कुमार की पत्नी की प्रतिक्रिया
पूर्णम कुमार की पत्नी रजनी शॉ ने उनके सुरक्षित लौटने पर खुशी जताई है। उन्होंने सरकार और बीएसएफ का आभार व्यक्त करते हुए इसे उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा बताया। रजनी ने कहा कि यह घटना सीमा सुरक्षा और मानवीय मसलों पर दोनों देशों के बीच बातचीत की आवश्यकता को उजागर करती है ।
भारत-पाकिस्तान के बीच आपसी सहयोग का संकेत
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और संवाद की आवश्यकता है। अटारी-वाघा बॉर्डर पर जवानों की रिहाई से यह संकेत मिलता है कि सीमा सुरक्षा और मानवीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच समझौते संभव हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
यह घटना भारत के कूटनीतिक प्रयासों की सफलता और सीमा सुरक्षा बल की तत्परता को भी दर्शाती है। पूर्णम कुमार की रिहाई से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने नागरिकों और जवानों की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।