Bhool Chuk Maaf Review: निर्देशक की ‘भूल’ से राजकुमार राव से हो गई ‘चूक’? जानिए कैसी है फिल्म

Bhool Chuk Maaf Review
मुंबई: राजकुमार राव की नई फिल्म “भूल चुक माफ़” ने ओटीटी पर दस्तक दे दी है, लेकिन यह फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है, इस पर सवाल उठने लगे हैं। जहां राव की एक्टिंग हमेशा की तरह दमदार है, वहीं फिल्म की कहानी और निर्देशन में ऐसी ‘भूलें’ हुई हैं जो इस फिल्म को ‘माफ़’ करना मुश्किल बना देती हैं।
कहानी में दम या दम तोड़ती पटकथा?
फिल्म की कहानी एक युवा प्रोफेसर (राजकुमार राव) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कॉलेज में पढ़ाने के लिए आता है और एक स्टूडेंट के साथ भावनात्मक रिश्ता बना लेता है। यह रिश्ता दोस्ती, कन्फ्यूजन और पछतावे की कड़ी से गुजरता है, लेकिन यही कड़ी कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण बिखरती नजर आती है।
निर्देशक करिश्मा देव दुबे ने एक संवेदनशील मुद्दे को छूने की कोशिश की है, लेकिन कहानी को जिस परिपक्वता और पकड़ की ज़रूरत थी, वह परदे पर दिखाई नहीं देती।
अभिनय: सिर्फ राजकुमार राव की ही परफॉर्मेंस दमदार
राजकुमार राव अपने किरदार में पूरी तरह ढल गए हैं। उनके भाव, डायलॉग डिलीवरी और आंखों की भाषा देखने लायक है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि पूरी फिल्म उनके कंधों पर टिकी है – और बाकी किरदार, खासकर लीड एक्ट्रेस, उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाते।
निर्देशन की ‘भूल’ और रफ्तार की ‘चूक’
फिल्म में कई मोमेंट्स ऐसे हैं जो आपको भावुक कर सकते थे, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले और कुछ अनावश्यक दृश्य फिल्म की गति को तोड़ देते हैं। कहीं-कहीं संवाद इतने साधारण हैं कि दृश्य की गहराई खत्म हो जाती है।
संगीत और सिनेमैटोग्राफी: थोड़ा सुकून, थोड़ी निराशा
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर कहानी से मेल खाता है, लेकिन ऐसा कोई गाना नहीं जो रिलीज के बाद दर्शकों की जुबां पर चढ़ जाए। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, खासकर कॉलेज लाइफ और क्लासरूम सीन्स में।
रेटिंग और निष्कर्ष:
पैमाना | अंक (5 में से) |
---|---|
अभिनय | ⭐⭐⭐⭐ |
कहानी | ⭐⭐ |
निर्देशन | ⭐⭐ |
संगीत | ⭐⭐.5 |
कुल मिलाकर | ⭐⭐.5 |
फैसला:
भूल चुक माफ़ एक ऐसा प्रयोग है जो शायद थियेटर में असरदार होता, लेकिन ओटीटी पर कहानी और निर्देशन की चूक इसे औसत बना देती है। केवल राजकुमार राव के फैन हैं तो एक बार जरूर देख सकते हैं, वरना ‘भूल’ ही बेहतर।