भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौता 2025: क्यों है जरूरी और भारत को इससे क्या-क्या मिल सकता है?

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भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौता 2025

भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता (Interim Trade Deal) को लेकर इन दिनों गहन वार्ताएं चल रही हैं। इस डील की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि अमेरिका ने अप्रैल 2025 में भारत पर लगाए जाने वाले 26% शुल्क को 90 दिनों के लिए टाल दिया था। यह छूट 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो गई है और अब दोनों देश डील को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहे हैं।

यह समझौता भारतीय उद्योग जगत और निर्यातकों के लिए बहुत बड़ा राहत पैकेज हो सकता है, खासकर तब जब अमेरिका ने अन्य देशों पर शुल्क बढ़ा दिए हैं और भारत को इससे अस्थायी राहत मिली है।

बातचीत कहां तक पहुंची है?

भारतीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल शामिल हैं, इन दिनों वॉशिंगटन में हैं। अब तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है और सूत्रों के अनुसार समझौते को जल्द अंतिम रूप दिया जा सकता है।

डील में अमेरिका को कुछ उत्पादों के आयात पर अधिक पहुँच मिलेगी, वहीं भारत को अपने लेबर-इंटेंसिव एक्सपोर्ट्स (जैसे वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा आदि) पर राहत मिल सकती है।

किन मुद्दों पर मतभेद हैं?

कृषि और जीएम फसलों पर भारत की आपत्ति:

भारत अब भी जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों जैसे मक्का और सोयाबीन पर कड़ी आपत्ति जता रहा है। हालाँकि, GM पशु चारा (जैसे अल्फाल्फा हाय) के आयात पर थोड़ी नरमी देखी गई है।

डेयरी और ऑटो सेक्टर:

अमेरिका चाहता है कि भारत अपने डेयरी बाजार को भी खोले, लेकिन भारत का कहना है कि भारतीय उपभोक्ताओं की धार्मिक और आहार संबंधी संवेदनाओं को देखते हुए यह संभव नहीं है।

अमेरिका की मांगें:

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV), शराब, पेट्रोकेमिकल्स, और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स पर अधिक पहुंच

  • अमेरिका के फलों (सेब, नट्स) पर शुल्क में कमी

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह समझौता?

भारत अमेरिका के साथ $500 अरब व्यापार लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। 2024-25 में भारत ने अमेरिका के साथ $41.18 अरब का व्यापार अधिशेष दर्ज किया। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और ऐसे में अगर कोई दंडात्मक शुल्क फिर से लगाया गया, तो टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण जैसे सेक्टर पर बड़ा असर पड़ेगा।

इसलिए यह डील लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए भी अत्यंत लाभकारी हो सकती है।

क्या यह डील केवल “अंतरिम” रहेगी?

जी हां, यह डील एक “फेज वन” या अंतरिम समझौता (Mini or Interim Trade Deal) होगी। भविष्य में दोनों देश एक पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता (Bilateral Trade Agreement) पर भी काम कर सकते हैं, जिसमें ज्यादा व्यापक और संवेदनशील मुद्दे जैसे ई-कॉमर्स, डेटा शेयरिंग, और डिजिटल ट्रेड को भी शामिल किया जाएगा।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

भारतीय उद्योगों ने फिलहाल अमेरिका में निवेश और विस्तार योजनाएं स्थगित कर दी हैं जब तक डील पर स्पष्टता नहीं आती। FICCI, CII, और ASSOCHAM जैसे व्यापार निकायों ने सरकार से अपील की है कि एक स्थिर और पारदर्शी व्यापार नीति बनाई जाए।

संभावित फायदे:

भारत के निम्नलिखित उत्पादों को शुल्क राहत मिल सकती है:

  • वस्त्र एवं परिधान

  • रत्न और आभूषण

  • चमड़ा और फुटवियर

  • समुद्री उत्पाद (श्रिम्प)

  • कुछ फल और तिलहन

अमेरिका को मिलेगा:

  • ऑटो, वाइन, और औद्योगिक उत्पादों के लिए आसान पहुँच

  • व्यापार घाटा घटाने में मदद

डील क्यों जरूरी है?

  • यह डील भारत को अमेरिकी बाजार में स्थिरता देगी

  • चीन और यूरोपीय यूनियन के मुकाबले भारत के लिए नई रणनीतिक स्थिति बन सकती है

  • भारतीय निर्यातकों को मध्यावधि में राहत और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा में बढ़त

भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार समझौता 2025 केवल दो देशों के बीच व्यापारिक सहमति नहीं, बल्कि यह विश्व की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों के रणनीतिक साझेदारी की एक मजबूत झलक है। जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अनिश्चितता और संरक्षणवाद की नीति हावी हो रही है, ऐसे समय में यह डील भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर स्थायित्व और प्रतिस्पर्धात्मकता दिलाने में मदद कर सकती है।

इस समझौते के ज़रिए जहां भारत को अपने श्रम-प्रधान उत्पादों को अमेरिका में बेहतर बाज़ार मिलेगा, वहीं अमेरिका को भारतीय बाज़ार में कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में अधिक पहुँच प्राप्त होगी। अगर यह समझौता समय पर और पारदर्शी ढंग से क्रियान्वित होता है, तो यह MSME सेक्टर, किसानों और निर्यातकों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।

आने वाले वर्षों में यह डील पूर्ण द्विपक्षीय समझौते की नींव रख सकती है — जो भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक निर्णायक भूमिका में लाकर खड़ा करेगा।

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