नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2016 की भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए करीब 26,000 शिक्षकों को अस्थायी राहत देते हुए उन्हें नई भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाने की अनुमति दी है। हालांकि, यह राहत केवल उन्हीं शिक्षकों को दी गई है जिनका नाम घोटाले में नहीं आया है।
बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो: सुप्रीम कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वह नहीं चाहते कि कोर्ट के निर्णय से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो। इसलिए योग्य और निर्दोष शिक्षकों को तब तक पढ़ाने की इजाजत दी जा रही है, जब तक नई चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
भर्ती प्रक्रिया की डेडलाइन तय
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) को आदेश दिया कि 31 मई 2025 तक नई भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी किया जाए और 31 दिसंबर 2025 तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। समयसीमा का पालन न करने पर कोर्ट आवश्यक कार्रवाई और जुर्माना लगाएगा।
नॉन-टीचिंग स्टाफ को राहत नहीं
कोर्ट ने ग्रुप C और D के नॉन-टीचिंग स्टाफ को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के अनुसार, इनमें से अधिकांश के खिलाफ आरोप प्रमाणित हो चुके हैं।
पूरे मामले की पृष्ठभूमि
2016 की भर्ती प्रक्रिया
2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) के माध्यम से सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 24,640 पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था।
घोटाले के आरोप
इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये तक की घूस लेकर नियुक्तियां करने का आरोप है। इस मामले में सीबीआई ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। अर्पिता पेशे से मॉडल थीं और उनके ठिकानों से भारी मात्रा में कैश मिला था।
हालिया घटनाक्रम
प्रदर्शन और भूख हड़ताल
सुप्रीम कोर्ट के 3 अप्रैल के फैसले के बाद जिन 25,753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियां रद्द हुईं, वे सड़कों पर उतर आए। 11 अप्रैल को हजारों लोग साल्ट लेक से SSC कार्यालय तक मार्च करते दिखे। उनकी मांग थी कि OMR शीट सार्वजनिक की जाए और योग्य उम्मीदवारों की पहचान की जाए।
10 अप्रैल को बर्खास्त कर्मचारियों ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल की घोषणा की।
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं
ममता बनर्जी का बयान
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधे हैं, लेकिन यह फैसला कई योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा, “हमने फैसले को स्वीकार नहीं किया है, हम इंसानियत में विश्वास रखते हैं।”
राहुल गांधी की अपील
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की कि जो निर्दोष शिक्षक हैं, उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाए। उन्होंने लिखा, “राष्ट्रपति खुद एक शिक्षिका रही हैं, वे समझेंगी कि इस फैसले का क्या असर होगा।”
भाजपा का हमला
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री को दोषी ठहराते हुए कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को समय पर सूची नहीं दी। भाजपा ने 21 अप्रैल को सचिवालय मार्च की घोषणा की है। भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां हजारों शिक्षकों को अस्थायी राहत मिली है, वहीं भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। इस मुद्दे पर अब राजनीतिक घमासान भी तेज हो गया है और आने वाले दिनों में यह मामला और गरमा सकता है।