अश्विन माह 2025: हिंदू सनातन धर्म में प्रत्येक माह का विशेष महत्व बताया गया है। हर महीने में पड़ने वाले पर्व और व्रत धार्मिक आस्था और सामाजिक मान्यताओं से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है अश्विन माह, जो भाद्रपद के बाद आता है और इसे वर्ष का सातवां मास माना जाता है।
इस साल अश्विन माह की शुरुआत सोमवार, 8 सितंबर 2025 से हुई है और यह मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 तक चलेगा।
अश्विन माह का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार, अश्विन मास विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक ओर पितृ पक्ष आता है, तो दूसरी ओर शारदीय नवरात्रि और दशहरा जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं। साथ ही इस माह में शरद पूर्णिमा का पावन व्रत भी होता है।
सबसे पहले पितृ पक्ष
अश्विन मास की शुरुआत पितृ पक्ष से होती है।
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आरंभ – रविवार, 7 सितंबर 2025 (कृष्ण पक्ष प्रतिपदा)
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समापन – रविवार, 21 सितंबर 2025 (सर्वपितृ अमावस्या)
इन 15 दिनों को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस अवधि में पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं और अपने वंशजों के तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध स्वीकार करते हैं। इन्हें प्रसन्न करने से पितरों की आत्मा को शांति और कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि और दशहरा
पितृ पक्ष के बाद ही मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि शुरू होता है।
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आरंभ – सोमवार, 22 सितंबर 2025
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समापन – शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025
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दशहरा/विजयादशमी – गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन कलश स्थापना और घट स्थापना की जाती है, जबकि अंतिम दिन महानवमी और दशहरे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन और मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी होता है।
अश्विन माह 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार
तारीख | दिन | पर्व/व्रत |
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8 सितंबर 2025 | सोमवार | श्राद्ध आरंभ |
10 सितंबर 2025 | बुधवार | संकष्टी चतुर्थी |
17 सितंबर 2025 | बुधवार | विश्वकर्मा पूजा, इंदिरा एकादशी |
19 सितंबर 2025 | शुक्रवार | मासिक शिवरात्रि |
21 सितंबर 2025 | रविवार | पितृ पक्ष समाप्त, सूर्य ग्रहण |
22 सितंबर 2025 | सोमवार | शारदीय नवरात्रि आरंभ |
25 सितंबर 2025 | गुरुवार | विनायक चतुर्थी |
30 सितंबर 2025 | मंगलवार | दुर्गाष्टमी |
1 अक्टूबर 2025 | बुधवार | महानवमी |
2 अक्टूबर 2025 | गुरुवार | दशहरा एवं विसर्जन |
3 अक्टूबर 2025 | शुक्रवार | पापांकुशा एकादशी |
4 अक्टूबर 2025 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
6 अक्टूबर 2025 | सोमवार | शरद पूर्णिमा व्रत |
7 अक्टूबर 2025 | मंगलवार | वाल्मीकि जयंती |
इस माह में आचरण और सावधानियां
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पहले 15 दिन पितृ पूजन और श्राद्ध के लिए समर्पित होते हैं।
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अगले 15 दिन मां दुर्गा की आराधना और उत्सव के लिए विशेष होते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार अश्विन मास में दूध का अधिक सेवन टालना चाहिए।
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यह मौसम परिवर्तन का समय होता है, इसलिए स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है।
अश्विन मास इसलिए विशेष है क्योंकि यह न केवल पितरों की स्मृति का समय है, बल्कि देवी पूजा और विजय के पर्व का भी प्रतीक है।