अंकिता की चीखें नहर में गूंजती रहीं, हत्यारे शराब के जाम छलकाते रहे – पूरा मामला रुला देगा

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Ankita Bhandari Murder Case Verdict: तीनों दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट का बड़ा फैसला

Ankita Bhandari Murder Case Verdict: तीनों दोषियों को उम्रकैद, कोर्ट का बड़ा फैसला

Ankita Bhandari Murder Case: उत्तराखंड को झकझोर देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय हुआ। 2022 में वनन्तरा रिजॉर्ट में कार्यरत 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता की निर्मम हत्या के मामले में अदालत ने शुक्रवार को तीनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला सिर्फ अंकिता के परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए इंसाफ की एक बड़ी उम्मीद की तरह देखा जा रहा है।

कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि यह एक पूर्व नियोजित और जघन्य अपराध था, जिसमें अंकिता को षड्यंत्रपूर्वक नहर में धकेल कर मार डाला गया। दोषियों में रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता शामिल हैं। तीनों को धारा 302 (हत्या), 120बी (षड्यंत्र) और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत दोषी पाया गया।

क्या हुआ था उस रात?

18 सितंबर 2022 की रात को पुलकित, सौरभ और अंकित ने अंकिता को ऋषिकेश घुमाने के बहाने बुलाया। रास्ते में शराब के नशे में उन्होंने चीला नहर के किनारे रुक कर अंकिता से फिर से “ग्राहकों को खुश करने” के लिए दबाव डाला। अंकिता ने विरोध किया और चेताया कि वह सब कुछ अपने घरवालों को बता देगी। इस पर विवाद बढ़ा और पुलकित ने अंकिता को धक्का देकर नहर में गिरा दिया।

“प्लीज मुझे बचा लो…”

प्रत्यक्षदर्शियों और जांच रिपोर्ट के मुताबिक, अंकिता चीखती रही — “प्लीज मुझे बचा लो…” लेकिन तीनों आरोपी नहर किनारे शराब पीते रहे और उसका डूबना देखते रहे। अंकिता ने दो बार बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन अंततः वह पानी में डूब गई।

पुलिस जांच में खुला पूरा राज

घटना के बाद तीनों आरोपियों ने रिजॉर्ट लौटकर स्टाफ को गुमराह करने की कोशिश की। अगले दिन पुलकित और अंकित ने हरिद्वार जाकर नया मोबाइल खरीदा और पुराना मोबाइल अंकिता के कमरे में होने की बात कहकर बहाना बनाया।
जब स्टाफ को शक हुआ तो मामले की परतें खुलने लगीं। पुलिस ने गहन पूछताछ के बाद तीनों को गिरफ्तार किया और क्राइम सीन को रीक्रिएट किया।

रिजॉर्ट में चल रहे थे अनैतिक कार्य

जांच में सामने आया कि वनन्तरा रिजॉर्ट में अनैतिक गतिविधियाँ चल रही थीं। अंकिता पर भी दबाव डाला जाता था कि वह ग्राहकों को “खुश” करे। उसने यह बात अपने एक सहयोगी को बताई थी, जो उसकी आखिरी ऑडियो कॉल और व्हाट्सएप चैट्स से सामने आया। यही सहयोगी बाद में पुलिस जांच में प्रमुख सूत्रधार बना।

जनता का गुस्सा और आंदोलन

अंकिता की हत्या के बाद प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन हुए। लोग सड़कों पर उतरे, न्याय की मांग को लेकर महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाले। जब तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, तब गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस वैन से उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की और उनके कपड़े तक फाड़ दिए।

सरकार पर भी उठे सवाल

इस मामले में एक आरोपी पुलकित आर्य तत्कालीन भाजपा नेता का बेटा था, जिस कारण सरकार पर भी कार्रवाई में देरी और पक्षपात के आरोप लगे। हालांकि जनदबाव और मीडिया के दखल के बाद सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए रिजॉर्ट को बुलडोज़ करवा दिया था।

अंकिता भंडारी हत्याकांड अब केवल एक अपराध की फाइल नहीं, बल्कि समाज में स्त्रियों की सुरक्षा, न्याय व्यवस्था की गंभीरता और सत्ता के दुरुपयोग के विरुद्ध एक चेतावनी बन चुका है। अदालत के इस फैसले ने साबित किया है कि देर हो सकती है, लेकिन न्याय ज़रूर होता है।

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