अक्षय तृतीया 2025: तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व | जानें शहर अनुसार पूजा समय

अक्षय तृतीया 2025: तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है। यह दिन हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया का शाब्दिक अर्थ है – “कभी न समाप्त होने वाला पुण्य और फल देने वाला दिन।” इस दिन किया गया दान, पूजा, हवन और खरीदारी अक्षय पुण्य फल देती है।
धार्मिक मान्यता
अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी, परशुराम जी और कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाए, उसका फल अक्षय रहता है यानी कभी खत्म नहीं होता।
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इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।
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द्वापर युग में, युधिष्ठिर को श्रीकृष्ण ने अक्षय पात्र प्रदान किया था।
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इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा की जाती है।
क्या करें इस दिन?
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भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
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गरीबों को भोजन, वस्त्र और दान दें।
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सोना, चांदी, वाहन, मकान, जमीन आदि की खरीदारी करें।
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तिल, वस्त्र, गौ, अन्न और जल का दान अत्यंत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
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तिथि शुरू: 29 अप्रैल 2025, शाम 05:31 बजे
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तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 02:12 बजे
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पूजा का मुख्य दिन: 30 अप्रैल 2025
विशेष मुहूर्त:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:15 से 04:58 तक
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विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 से 03:24 तक
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गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:55 से 07:16 तक
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सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन उपलब्ध
शहर अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya City-wise Muhurat)
शहर | शुभ मुहूर्त (प्रातः से दोपहर तक) |
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नई दिल्ली | 05:41 AM – 12:18 PM |
गुरुग्राम | 05:42 AM – 12:19 PM |
चंडीगढ़ | 05:40 AM – 12:20 PM |
नोएडा | 05:41 AM – 12:18 PM |
कोलकाता | 05:05 AM – 11:34 AM |
मुंबई | 06:11 AM – 12:36 PM |
अहमदाबाद | 06:07 AM – 01:37 PM |
बेंगलुरु | 05:59 AM – 12:17 PM |
जयपुर | 05:49 AM – 12:24 PM |
हैदराबाद | 05:51 AM – 12:13 PM |
पुणे | 06:08 AM – 12:32 PM |
चेन्नई | 05:49 AM – 12:06 PM |
अक्षय तृतीया 2025 आध्यात्मिक उन्नति, सुख, समृद्धि और धन लाभ का अद्भुत अवसर लेकर आ रही है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति और आर्थिक उन्नति के योग बनते हैं। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों का फल निश्चय ही “अक्षय” होता है।