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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: संघर्षों के बाद एयर होस्टेस बनी थीं मैथिली पाटिल

संघर्ष से उड़ान तक... और फिर एक हादसा

संघर्ष से उड़ान तक... और फिर एक हादसा

अहमदाबाद प्लेन क्रैश : गुरुवार को हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस दुर्घटना में 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि एकमात्र यात्री जीवित बचा। मृतकों में एयर होस्टेस मैथिली पाटिल भी शामिल थीं, जो महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के न्हावा गांव से थीं।

संघर्षों से सफलता तक का सफर

मैथिली पाटिल एक साधारण परिवार से थीं। उनके पिता पनवेल के पास ONGC में श्रमिक हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने टी.एस. रहमान स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और अपने बचपन के सपने को साकार करते हुए एयर इंडिया में बतौर क्रू मेंबर नौकरी हासिल की।

उनके एक रिश्तेदार और गांव के पूर्व सरपंच जीतेंद्र म्हात्रे ने कहा,

“मैथिली ने बेहद सीमित संसाधनों में पढ़ाई की और एयर होस्टेस बनीं। इस हादसे ने पूरे गांव को हिला दिया है।”

आखिरी ड्यूटी और हादसे की खबर

मैथिली की ड्यूटी 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 में थी। इसके लिए वे 11 जून को मुंबई से अहमदाबाद पहुंचीं थीं। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान हादसे का शिकार हो गया और एक हॉस्टल पर जा गिरा।

स्कूल ने किया याद

मैथिली के स्कूल की प्रिंसिपल डेज़ी पॉल ने उन्हें याद करते हुए बताया कि वह बेहद शांत, अनुशासित और मेहनती छात्रा थीं। कुछ महीने पहले स्कूल के पूर्व छात्रों के कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने बच्चों को करियर के लिए प्रेरित भी किया था।

दर्दनाक हादसा और राहत की पहल

बीजेपी मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरे इस विमान हादसे ने कई ज़िंदगियां लील लीं। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि मृतकों के परिवार को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाएगी और घायलों के इलाज का पूरा खर्च टाटा समूह उठाएगा। इसके अलावा, छात्रावास भवन के पुनर्निर्माण में भी सहयोग की घोषणा की गई है।

एक सपना जो अधूरा रह गया

मैथिली पाटिल की कहानी उन लाखों युवाओं की प्रेरणा थी, जो संघर्षों के बीच सपने देखते हैं। उनकी दुखद मौत केवल एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।

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