आकाशतीर: भारत की नई इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली

DRDO द्वारा विकसित "आकाशतीर" प्रणाली भारतीय नौसेना की शक्ति को बढ़ाएगी
भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दिशा में देश ने कई अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित किया है। इन्हीं में से एक है “आकाशतीर” — एक ऐसा प्रोजेक्ट जो भारतीय वायुसेना और नौसेना की मारक क्षमता को एक नई ऊँचाई देता है। यह एक स्वदेशी विकसित नेवल कम्युनिकेशन सिस्टम है, जिसका उद्देश्य शत्रु की मिसाइल या हवाई हमलों से पहले ही चेतावनी देना और रक्षा करना है।
यह लेख “आकाशतीर” की तकनीकी विशेषताओं, इसके निर्माण, उपयोग और भारत की सामरिक नीति में इसके महत्व को विस्तार से समझाता है।
आकाशतीर क्या है?
“आकाशतीर” एक इंटीग्रेटेड कम्युनिकेशन सिस्टम है जो भारतीय नौसेना और वायुसेना को दुश्मन की निगरानी गतिविधियों, मिसाइल हमलों और रडार सिग्नल्स का पता लगाने में मदद करता है। यह मुख्यतः एक Electronic Warfare Support Measure (ESM) प्रणाली है, जो दुश्मन के रेडियो सिग्नल और इलेक्ट्रॉनिक संचार को इंटरसेप्ट करती है।
इस प्रणाली का निर्माण भारत की सरकारी संस्था डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा किया गया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी है।
कैसे काम करता है आकाशतीर?
आकाशतीर प्रणाली के तहत विभिन्न सेंसर, रडार इंटरसेप्टर, और कम्युनिकेशन मॉड्यूल्स एक नेटवर्क में जोड़ दिए जाते हैं। यह पूरे नौसेना क्षेत्र में फैले जहाजों, एयरबेस और ग्राउंड स्टेशनों को एक साथ जोड़ती है। इसके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
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सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT): दुश्मन की रडार और कम्युनिकेशन एक्टिविटी का पता लगाना
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रियल-टाइम डेटा शेयरिंग: अलग-अलग बेस और यूनिट्स को लाइव जानकारी उपलब्ध कराना
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सिचुएशनल अवेयरनेस: युद्ध के समय स्थिति की सम्पूर्ण जानकारी देना
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साइबर-डिफेंस: इलेक्ट्रॉनिक हमला या हैकिंग से सुरक्षा देना
शिक्षा से जुड़ा परिप्रेक्ष्य: तकनीकी छात्रों के लिए क्या सीख?
“आकाशतीर” एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर नेटवर्किंग, AI, और सिग्नल प्रोसेसिंग का उपयोग करके नेशनल डिफेंस टेक्नोलॉजी को मजबूत किया जा सकता है। तकनीकी छात्रों के लिए इससे निम्नलिखित शिक्षाएं निकलती हैं:
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स्वदेशी तकनीक का महत्व: भारत जैसे देश में आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली कितना जरूरी है
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इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर की शिक्षा: यह अब साइंस और टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स के लिए उभरता हुआ विषय है
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डेटा सिक्योरिटी और नेटवर्किंग: देश की सुरक्षा अब साइबर डोमेन पर भी निर्भर करती है
सामरिक दृष्टिकोण से इसका महत्व
भारत के सामने दोहरी चुनौती है—पूर्व में चीन और पश्चिम में पाकिस्तान। ऐसे में आकाशतीर जैसी प्रणाली निम्नलिखित प्रकार से मददगार सिद्ध हो सकती है:
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पूर्व चेतावनी प्रणाली: मिसाइल या हवाई हमला होने से पहले चेतावनी
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नेवल कमांड नेटवर्किंग: समुद्री सीमा पर भारतीय नौसेना को सामूहिक रूप से जोड़ना
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इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा: दुश्मन के रेडियो फ्रीक्वेंसी या साइबर अटैक को पहचानना और रोकना
सरकार और DRDO की भूमिका
“आकाशतीर” DRDO की DFCC (Defence Communication Cluster) परियोजना का हिस्सा है। इसके निर्माण में भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति का बड़ा योगदान है। यह न सिर्फ सैन्य बलों को मजबूती देता है, बल्कि स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी प्रोत्साहित करता है।
“आकाशतीर” भारत के लिए न सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। युवाओं और तकनीकी छात्रों को इससे प्रेरणा मिलती है कि वे भी आने वाले समय में ऐसी प्रणालियों के निर्माण में भागीदारी कर सकते हैं।
भारत अब केवल रक्षा उपकरण आयात करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि अब वह अपने बलबूते हाई-एंड डिफेंस टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है – और आकाशतीर इसका जीवंत उदाहरण है।