15th August 2025
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जन्माष्टमी का व्रत बेहद कठिन माना जाता है क्योंकि यह पूरे दिन और रात चलता है। भक्तजन निर्जला या फलाहार व्रत रखकर भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
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व्रत का पारण भगवान कृष्ण के जन्म के बाद ही किया जाता है।
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मान्यता है कि पारण तभी करें जब अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो जाएं।
निशिता पूजा के बाद – रात 12 बजे जन्मोत्सव के तुरंत बाद पारण। अष्टमी तिथि के बाद – 16 अगस्त रात 9:34 बजे के बाद। रोहिणी नक्षत्र के बाद – 18 अगस्त सुबह 3:17 बजे के बाद।
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अष्टमी तिथि समाप्त – 16 अगस्त, रात 9:34 बजे रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 18 अगस्त, सुबह 3:17 बजे
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भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करें माखन-मिश्री, पंजीरी, फल का भोग लगाएं प्रसाद ग्रहण करके ही व्रत तोड़ें
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प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन न खाएं पारण के बाद दान करें पारण के समय कान्हा का नाम लेते रहें
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सही मुहूर्त और विधि से व्रत पारण करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है
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