Raksha Bandhan 2025 : क्या आपको पता है रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास, पौराणिक मान्यताएं और महत्व

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रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

Raksha Bandhan 2025 : भारत त्योहारों की भूमि है और इन्हीं में से एक है रक्षाबंधन, जिसे भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार न केवल पारिवारिक संबंधों को मजबूत करता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए विस्तार से जानते हैं कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, इसका इतिहास क्या है और इसकी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का अर्थ ही है “रक्षा का बंधन”। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। बदले में भाई अपनी बहन को जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे गुरु-शिष्य, मित्रता और समाज के अन्य रिश्तों में भी सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार प्रेम, विश्वास, कर्तव्य और पारिवारिक मूल्यों को संजोकर रखने की प्रेरणा देता है।

रक्षाबंधन कब से मनाया जाता है?

रक्षाबंधन की परंपरा हजारों साल पुरानी है। यह वैदिक काल से ही प्रचलित है। ऋग्वेद और पुराणों में भी रक्षासूत्र का उल्लेख मिलता है। पहले यह त्योहार केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं था बल्कि समाज में सुरक्षा और शुभकामना के लिए भी रक्षासूत्र बांधने की परंपरा थी।

बाद में यह प्रथा परिवारिक रिश्तों में परिवर्तित हुई और खासतौर पर भाई-बहन के रिश्ते का प्रमुख त्योहार बन गई। इतिहासकारों के अनुसार, मध्यकाल में भी यह त्योहार सामाजिक और राजनीतिक रिश्तों को मजबूत करने का माध्यम बना।

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रक्षाबंधन की पौराणिक मान्यताएं

1. इंद्र और इंद्राणी की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चल रहा था, तब इंद्र देव की स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी। तब इंद्राणी (शची) ने इंद्र की रक्षा के लिए एक पवित्र धागा मंत्रों से अभिमंत्रित करके उनकी कलाई पर बांधा। इससे इंद्र को शक्ति मिली और उन्होंने असुरों पर विजय प्राप्त की। यह घटना “रक्षासूत्र” की परंपरा का प्रारंभिक आधार मानी जाती है।

2. श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत में जब श्रीकृष्ण की उंगली घायल हो गई थी, तब द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस स्नेहपूर्ण gesture से श्रीकृष्ण अत्यंत भावुक हो गए और उन्होंने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा करने का वचन दिया। यही कारण है कि द्रौपदी के चीर-हरण के समय श्रीकृष्ण ने उसकी लाज बचाई।

3. यम और यमुनाजी की कथा

कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने सालों तक नहीं आए। तब यमुनाजी ने नाराज होकर उन्हें बुलाया और राखी बांधी। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुनाजी को अमरता का आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा, उसकी उम्र लंबी होगी।

4. राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा

विष्णु पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके महल में रहने का वचन दिया, तब देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं। लक्ष्मीजी ने बलि को राखी बांधी और उसे भाई मानकर विष्णु को मुक्त करने का आग्रह किया। राजा बलि ने इसे स्वीकार कर लिया। इसीलिए रक्षाबंधन को भक्ति और प्रेम का पर्व भी माना जाता है।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व

1. राजनीतिक संबंधों में रक्षाबंधन

इतिहास में रक्षाबंधन का इस्तेमाल राजनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए भी किया गया। प्रसिद्ध उदाहरण है मेवाड़ की महारानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूँ का। महारानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा का अनुरोध किया। हुमायूँ ने इसे स्वीकार कर लिया और बहन का मान रखते हुए उनकी मदद की।

2. सामाजिक समरसता का प्रतीक

रक्षाबंधन सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। यह त्योहार जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर रिश्तों में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। प्राचीन समय में साधु-संत भी लोगों को राखी बांधकर उन्हें धर्म और समाज की रक्षा का संकल्प दिलाते थे।

रक्षाबंधन का आधुनिक महत्व

आज के समय में रक्षाबंधन केवल पारंपरिक रस्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के बीच प्यार और विश्वास का बंधन मजबूत करता है। अब बहनें केवल भाइयों को ही नहीं बल्कि अपनी सहेलियों, चचेरे-भाइयों और यहां तक कि पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ों पर भी राखी बांधती हैं।

कार्यालयों और संस्थानों में भी रक्षाबंधन को टीम भावना और एकजुटता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का पर्व कैसे मनाया जाता है?

  1. तैयारी – बहनें सुंदर राखियां खरीदती हैं और भाई के लिए उपहार तैयार करती हैं।

  2. पूजा – रक्षाबंधन के दिन बहन भाई को तिलक लगाकर आरती करती है और राखी बांधती है।

  3. वचन – भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहार देता है।

  4. भोज – इसके बाद परिवार में मिठाई और पकवानों के साथ त्योहार का आनंद लिया जाता है।

रक्षाबंधन केवल एक रस्म नहीं बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की आत्मा है। इसकी जड़ें पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और सामाजिक मान्यताओं में गहरी हैं। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की असली ताकत प्रेम, विश्वास और सुरक्षा में है।

इस रक्षाबंधन पर हमें न केवल अपने भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करना चाहिए बल्कि समाज में भी प्रेम और एकता का संदेश फैलाना चाहिए। यही रक्षाबंधन का वास्तविक उद्देश्य है।

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