हरियाली तीज 2025: जानिए इसका इतिहास, महत्व, पौराणिक मान्यताएं और देशभर की परंपराएं

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हरियाली तीज 2025: त्योहार का इतिहास, महत्व और परंपराएं

भारत त्योहारों की भूमि है, जहां हर उत्सव प्रकृति, संस्कृति और आस्था से जुड़ा होता है। हरियाली तीज भी एक ऐसा ही प्रमुख त्योहार है जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत की महिलाएं बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाती हैं। यह त्योहार न केवल प्राकृतिक सौंदर्य की प्रतीक ‘हरियाली’ के आगमन का उत्सव है, बल्कि यह सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखे जाने वाले व्रत का पर्व भी है।

हरियाली तीज कब मनाई जाती है?

हरियाली तीज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में पड़ती है। यह सावन की पहली तीज होती है और इसके बाद कजरी तीज और हरतालिका तीज आती हैं।

हरियाली तीज 2025 की तिथि:
2025 में हरियाली तीज 29 जुलाई (रविवार) को मनाई जाएगी।

हरियाली तीज का पौराणिक इतिहास और मान्यता

हरियाली तीज का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती की अनन्त प्रेम कथा से जुड़ा हुआ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया था। उनकी निष्ठा, तपस्या और समर्पण से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस दिन को ही उनका दिव्य पुनर्मिलन माना जाता है और इसलिए इसे “सावन तीज” या “हरियाली तीज” के रूप में मनाया जाता है।

हरियाली तीज 2025: त्योहार का इतिहास, महत्व और परंपराएं

हरियाली तीज का महत्व

  1. वैवाहिक सुख का प्रतीक:
    हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। वे इस दिन व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की प्रार्थना करती हैं।

  2. कुंवारी कन्याओं के लिए भी शुभ:
    इस दिन कुंवारी लड़कियां भी व्रत रखती हैं ताकि उन्हें शिव-पार्वती जैसे आदर्श पति-पत्नी का आशीर्वाद प्राप्त हो।

  3. प्रकृति से जुड़ाव:
    हरियाली तीज वर्षा ऋतु में आती है जब चारों ओर हरियाली छा जाती है। यह त्योहार प्रकृति के सौंदर्य, हरियाली और नई ऊर्जा का स्वागत करने का प्रतीक है।

  4. नारी शक्ति और सौंदर्य का उत्सव:
    महिलाएं इस दिन सज-धजकर झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और पारंपरिक परिधान पहनकर उत्सव को आनंदमय बनाती हैं।

हरियाली तीज की परंपराएं और रीति-रिवाज

  1. व्रत और पूजन:
    महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके निर्जला व्रत शुरू करती हैं। वे दिनभर जल तक ग्रहण नहीं करतीं और रात को पूजा के बाद व्रत खोलती हैं।

  2. शृंगार का विशेष महत्व:
    महिलाएं इस दिन 16 शृंगार करती हैं। विशेष रूप से हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, मेंहदी, बिंदी, काजल, कंगन आदि पहने जाते हैं।

  3. झूले और लोकगीत:
    पेड़ों की डालियों पर झूले डाले जाते हैं, जहां महिलाएं झूला झूलती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।
    लोकप्रिय गीत:
    “सावन की हरियाली छाई, झूला पड़े अंगनाई…”

  4. मेंहदी रचाना:
    इस दिन हाथों में मेंहदी रचाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जिसकी मेंहदी गाढ़ी रचती है, उसका पति उससे उतना ही अधिक प्रेम करता है।

  5. तीज माता की पूजा:
    महिलाएं माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजा में नारियल, फूल, सुपारी, रोली, चूड़ियां आदि अर्पित की जाती हैं।

विभिन्न राज्यों में हरियाली तीज का उत्सव

1. राजस्थान:

  • यहां यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

  • जयपुर में खास तीज यात्रा निकाली जाती है जिसमें पारंपरिक रथ, लोक नर्तक, हाथी, घोड़े और बैंड शामिल होते हैं।

  • महिलाएं पारंपरिक राजस्थानी पोशाक में सजकर नाचती-गाती हैं।

2. उत्तर प्रदेश:

  • खासकर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी जैसे शहरों में महिलाएं समूह में व्रत रखती हैं और झूला झूलने व गीत गाने की परंपरा निभाती हैं।

  • ‘तीज का मेला’ आयोजित होता है जिसमें लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

3. बिहार:

  • यहां हरियाली तीज को “मधुश्रावणी” पर्व के रूप में भी जाना जाता है।

  • नवविवाहित महिलाएं इस दिन अपने मायके जाती हैं और तीज का विशेष भोज होता है।

4. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़:

  • इन राज्यों में भी महिलाएं सोलह श्रृंगार कर व्रत रखती हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करती हैं।

  • तीज के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

हरियाली तीज और आधुनिकता

आज के समय में हरियाली तीज को पारंपरिक रूप से मनाने के साथ-साथ इसका आयोजन क्लबों, सोसाइटी में भी होता है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में तीज पार्टियां, मेंहदी प्रतियोगिता, ब्यूटी कांटेस्ट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे यह पर्व नई पीढ़ी से भी जुड़ा हुआ बना रहता है।

हरियाली तीज एक ऐसा पर्व है जो नारी शक्ति, प्रेम, प्रकृति और परंपराओं का अद्भुत संगम है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह भारतीय संस्कृति की जड़ों से भी हमें जोड़ता है। इस दिन माता पार्वती के समर्पण और शक्ति को याद करते हुए महिलाएं अपने रिश्तों को मजबूती देती हैं और जीवन में प्रेम, स्नेह व सौंदर्य की कामना करती हैं। यही कारण है कि हरियाली तीज आज भी उतने ही उल्लास से मनाया जाता है जितना सदियों पहले मनाया जाता था।

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