100 साल बाद सावन शुरू हो रहा शुक्रवार से — जानिए इस संयोग का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

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100 साल बाद फिर आया है वो दुर्लभ संयोग!

100 साल बाद फिर आया है वो दुर्लभ संयोग!

सावन यानी श्रावण मास, भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। वर्ष 2025 में यह महीना एक विशेष कारण से और भी खास हो गया है — 100 साल बाद पहली बार सावन का आरंभ शुक्रवार के दिन हो रहा है। यह तिथि न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय महत्व के कारण भी चर्चा में है।

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क्या है इस संयोग का महत्व?
पंडितों के अनुसार, शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है, और जब सावन की शुरुआत इसी दिन हो, तो यह धन, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति देने वाला योग बनाता है। साथ ही, यह शिव और शक्ति के अद्वितीय मिलन का प्रतीक माना गया है।

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भक्ति और साधना के लिए उत्तम समय:

  • शिवभक्तों के लिए: यह पूरा मास विशेष फल देने वाला होगा।
  • श्रृंगार और सौंदर्य व्रत: शुक्रवार के दिन शुरू होने से विशेषकर महिलाओं के लिए यह माह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
  • गुरु पूर्णिमा भी था इसी महीने: इस साल गुरु पूर्णिमा भी सावन माह में ही था, जो गुरु भक्ति के लिहाज से खास मानी जाती है।

सावन के खास व्रत और त्योहार:

  • 4 सोमवार का व्रत
  • हरियाली तीज
  • नाग पंचमी
  • रक्षाबंधन
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (सावन के बाद भाद्रपद में परंतु सावन की ऊर्जा से जुड़ी)

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क्या कहते हैं पौराणिक ग्रंथ:
स्कंद पुराण और शिव पुराण में कहा गया है कि सावन में भगवान शिव की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। शुक्रवार के दिन इसकी शुरुआत शिव और शक्ति दोनों की कृपा पाने का सुनहरा अवसर है।

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