जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी अद्भुत परंपराएं

27th June 2025

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पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं का जीवंत उत्सव है।  

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जानिए 8 प्रमुख परंपराएं जो इस भव्य यात्रा को दिव्यता और भक्ति से भर देती हैं। 

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हर परंपरा में छिपी है सदियों पुरानी श्रद्धा और ऊर्जा। 

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रथ यात्रा से पहले भगवान का भव्य स्नान होता      है जिसमें 108 कलशों से      जलाभिषेक किया जाता है।

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स्नान यात्रा  

स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिन तक दर्शन नहीं देते — यह उनका "आराम" काल होता है। 

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अनसर 

बीमारी के बाद भगवान नए स्वरूप में दर्शन      देते हैं, जिसे      "नव युवन" कहा जाता है।

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नव युवन दर्शन 

पुरी के गजपति राजा स्वयं झाड़ू लगाकर रथों की सेवा करते हैं — यह विनम्रता और सेवा की परंपरा है। 

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चेरा पहरा 

रथ यात्रा के एक सप्ताह बाद भगवान वापसी की यात्रा करते हैं, जिसे "बहुदा यात्रा" कहा जाता है। 

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बहुदा यात्रा 

वापसी के दौरान भगवान लक्ष्मी जी से मिलने उनके मंदिर जाते हैं — एक भावनात्मक परंपरा। 

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सुन्दरगौरि मंदिर दर्शन 

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है — यह सबसे भव्य दर्शन होता है। 

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सुनाबेसी 

भगवान का अपने गर्भगृह में पुनः प्रवेश — लक्ष्मी जी के मनाने के बाद ही प्रवेश करते हैं! 

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नीलाद्रि विजया 

हर परंपरा में है भक्ति, संस्कृति और प्रेम का संदेश क्या आपने इन परंपराओं को अनुभव किया है? 

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Share करें और श्रद्धा फैलाएं! 

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