राम मंदिर में दूसरी बार प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन, अयोध्या में छाई भक्तिमय खुशियाँ

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा शुरू, अयोध्या में भव्य सजावट और देशभर से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
अयोध्या: राम मंदिर में 3 जून की सुबह 6:30 बजे से शुरू हुआ दूसरा प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरे विधि-विधान और भक्तिभाव से चल रहा है। यह महोत्सव 3 जून से 5 जून तक चलेगा, जिसमें राम जन्मभूमि के पहले तल पर भगवान श्रीराम के राजा रूप में प्रतिष्ठित होने का भव्य आयोजन हो रहा है।
इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राम दरबार, परकोटा के 6 मंदिर — शिवलिंग, गणपति, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा — और शेषावतार मंदिर में देव विग्रह की स्थापना हो रही है। मंदिर परिसर को भव्य रोशनी से सजाया गया है और देशभर से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचकर इस पावन अवसर का हिस्सा बन रहे हैं।
2024 के जनवरी में भगवान श्रीराम को बाल स्वरूप में प्रतिष्ठित किया गया था, जबकि अब दूसरी प्राण प्रतिष्ठा में राजा राम के रूप में उनके स्थापन का महत्वपूर्ण चरण पूरा किया जा रहा है। इस अवसर पर राम दरबार में भगवान राम के साथ उनके अनुज लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, माता जानकी और भक्त हनुमान विराजमान होंगे।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, पूरे देश से पहुंच रही है आस्था की गूंज
राम नगरी अयोध्या में भक्ति और उत्साह का माहौल है। दूर-दराज से लाखों श्रद्धालु इस महोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं। देश के 108 वैदिक विद्वान विभिन्न धार्मिक स्थलों से आए हुए हैं और वे यहां प्राण प्रतिष्ठा के पूजन-अर्चनाओं का हिस्सा बन रहे हैं। मुख्य आचार्य काशी के विद्वान जयप्रकाश हैं, जो पूजन एवं धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं।
मंगलवार को प्रायश्चित पूजन और कलश यात्रा के साथ इस आयोजन का शुभारंभ हुआ था। बुधवार को गणेश पूजन के साथ राम दरबार की प्रतिष्ठा शुरू हुई, जिसमें देश की समृद्धि और कल्याण की कामना के लिए विशेष संकल्प लिए गए। आज के दिन पुण्यार्जन, दुर्गा पूजन, नांदी श्राद्ध और पंचांग कर्म के साथ अग्नि की स्थापना भी की गई। मूर्तियों का जलाधिवास भी होगा, जो इस आयोजन की महत्ता को और बढ़ाता है।
क्यों है यह आयोजन खास?
राम मंदिर का यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भगवान राम के बाल स्वरूप से राजा रूप में प्रतिष्ठित होने का प्रतीक है, जो समस्त विश्व में भारतीय संस्कृति और धर्म की अमूल्य विरासत का उत्सव है।
मंदिर परिसर और उसके आसपास की सजावट, विधि-विधान और देश के कोने-कोने से पहुंचे वैदिक विद्वान इस कार्यक्रम को एक भव्य, दिव्य और यादगार अनुभव बना रहे हैं।