मोरिंगा से बदलेगी किसानों की किस्मत: तमिलनाडु के खेतों से निकलेगा ‘हरित सोना’

0
तमिलनाडु के मोरिंगा किसान — जिनके खेत 'हरित सोने' की खदान बन चुके हैं"

तमिलनाडु के मोरिंगा किसान — जिनके खेत 'हरित सोने' की खदान बन चुके हैं"

मोरिंगा : जब हम खेती की बात करते हैं, तो अक्सर चावल, गेहूं या गन्ने की बात करते हैं। लेकिन तमिलनाडु के कुछ किसान एक ऐसे पौधे की खेती कर रहे हैं, जो न केवल उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बना रहा है, बल्कि दुनिया भर में स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। मोरिंगा ओलीफेरा (सहजन) — जिसे आयुर्वेद में चमत्कारी वृक्ष कहा जाता है — अफ्रीका से लेकर अमेरिका तक, हर कोई इसके औषधीय और पोषण संबंधी लाभों को जान रहा है। मोरिंगा ओलीफेरा की एक किस्म PKM1 ने वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाला है, खासकर अफ्रीकी महाद्वीप के सेनेगल, रवांडा और मेडागास्कर जैसे देशों में।

मोरिंगा (मोरिंगा ओलीफेरा) के बारे में :

मोरिंगा ओलीफेरा, जिसे मोरिंगा, ड्रमस्टिक ट्री, हॉर्सरैडिश ट्री, सहजन, सेंजन, मुनगा तथा इसे ‘जीवन का वृक्ष’ या ‘चमत्कारी वृक्ष’ के नाम से भी जाना जाता है, और इसे एक बहुउपयोगी तथा महत्वपूर्ण हर्बल पौधे के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये तेजी से बढ़ने वाला, सूखा- प्रतिरोधी पौधा है, जिसका प्रयोग भोजन, दवा और विभिन्न औषधिक उद्योगों के उद्देश्य के लिए किया जाता है, मोरिंगा की पत्तियों, फलियों और बीजों में पोषक तत्वों और औषधीय गुणों का एक समृद्ध स्रोत है।

उत्पत्ति एवं वितरण:

  • मूल रूप से भारत, विशेषकर हिमालय की तराई का पौधा है।
  • इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है और यह भारत का मूल निवासी है, जिसे प्राचीन काल में भारत से अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व अफ्रीका और फिलीपींस लाया गया था।
  • अब दक्षिण एशिया, प्रशांत द्वीप समूह, फ्लोरिडा, मेडागास्कर, क्यूबा, इथियोपिया, नाइजीरिया कैरिबियन, तथा मध्य और दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से खेती की जाती है।

कृषि संबंधी जलवायु परिस्थितियाँ:

  • यह एक पर्णपाती प्रकार का वृक्ष है जो आमतौर पर दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • 5 – 8.0 के बीच पीएच वाली गहरी रेतीली दोमट मिट्टी को प्राथमिकता देता है।
  • ये अर्ध-शुष्क और उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है। और यह लगभग 25-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर बढ़ता है।
  • यह अप्रत्यक्ष सूर्यप्रकाश और बिना जलभराव के सबसे अच्छी तरह बढ़ता है, और इसके लिए मिट्टी थोड़ी अम्लीय से क्षरीय होनी चाहिए।
  • सूखा प्रतिरोधी और तेजी से बढ़ने के कारण साल में कई बार काटा जा सकता है।

औषधीय और स्वास्थ्य उपयोग:

  • मोरिंगा में एंटी- ऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते है।
  • आयुर्वेद में इसका उपयोग 300 से अधिक बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
  • इसमें विभिन्न स्वास्थ्यवर्धक यौगिक जैसे विभिन्न विटामिन,आयरन, मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते है, तथा इसमें वसा बहुत कम होती है और कोलेस्ट्रॉल भी नहीं होता है।
  • सूजनरोधी, रोगाणुरोधी और मधुमेह विरोधी गुणों के लिए जाना जाता है।
  • बीजों का उपयोग उनकी जमावट क्षमता के कारण पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।

मोरिंगा के लाभ:

  • अपने उच्च पोषण मूल्यों के कारण, पेड़ का प्रत्येक भाग पोषण संबंधी या व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए उपयुक्त है।
  • यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है।
  • इसका उपयोग जल शोधन में भी किया जाता है।
  • पत्तियों के अर्क का प्रयोग कुपोषण के उपचार तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन दूध बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
  • यह कृषि, खाद्य उद्योग, और जल उपचार उद्योग में आर्थिक अवसर प्रदान करता है।

यह एक बहुउपयोगी वृक्ष है। जिसका वैश्विक स्तर पर, मोरिंगा उत्पादों जैसे कि मोरिंगा पत्ती पाउडर और मोरिंगा तेल, पोषण पूरक के रूप में ,मोरिंगा और खाद्य सुदृढ़ीकरण की मांग में अच्छी वृद्धि देखी जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *