चीन ने Rare Earth Magnets के निर्यात पर लगाई रोक, EV और टेक इंडस्ट्री में संकट

चीन की चाल से हिल गया टेक सेक्टर!
Rare Earth Magnets :
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा प्रणालियों की रीढ़ माने जाने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट्स (Rare Earth Magnets) को लेकर बड़ा वैश्विक संकट सामने आया है। चीन ने इन चुम्बकीय तत्वों के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे ईवी निर्माता और तकनीकी उद्योग में भारी उथल-पुथल मच गई है।
क्या हैं रेयर अर्थ मैग्नेट्स?
रेयर अर्थ मैग्नेट्स, विशेष रूप से Neodymium-Iron-Boron (NdFeB) आधारित चुम्बक, हाई-परफॉर्मेंस इलेक्ट्रिक मोटरों के निर्माण में उपयोग होते हैं। ये चुम्बक ट्रैक्शन मोटर्स, पावर स्टीयरिंग, ब्रेकिंग सिस्टम और वाइपर जैसी तकनीकों में अत्यंत आवश्यक हैं।
चीन इन चुम्बकों के उत्पादन और निर्यात में लगभग एकाधिकार रखता है। अमेरिका, भारत और यूरोप जैसी अर्थव्यवस्थाएं इसके लिए चीन पर निर्भर हैं।
दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Elements – REEs): क्या हैं ये?
इनमें कुल 17 रासायनिक तत्व शामिल होते हैं – 15 लैंथेनाइड्स के अलावा स्कैंडियम और अट्रियम, जो लैंथेनाइड्स जैसे गुण रखते हैं।
इनका उपयोग कई क्षेत्रों में होता है:
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इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल फोन, कंप्यूटर, एलईडी
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ईवी व ऑटोमोबाइल्स: हाई-इंटेंसिटी मोटर्स
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चिकित्सा: MRI और लेज़र उपकरण
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रक्षा: मिसाइल्स, रडार, सटीक मार्गदर्शन प्रणाली
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ग्रीन एनर्जी: पवन टर्बाइन, सोलर पैनल टेक
हालाँकि ये तत्व पृथ्वी की परतों में व्यापक रूप से मौजूद हैं, लेकिन इनका निष्कर्षण और परिशोधन (Refinement) अत्यंत कठिन और महंगा होता है।
चीन की पकड़ और वैश्विक संकट
चीन वर्तमान में दुनिया की लगभग 90% REE आपूर्ति को नियंत्रित करता है। हालिया प्रतिबंधों के तहत चीन ने REE मैग्नेट्स के निर्यात पर पूर्ण नियंत्रण करने की दिशा में कदम उठाया है। इसका सीधा असर उन कंपनियों पर पड़ रहा है जो:
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इलेक्ट्रिक वाहन बना रही हैं (Tesla, BYD, Tata EVs)
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हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स तैयार करती हैं (Apple, Samsung)
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रक्षा उपकरण तैयार कर रही हैं
AI, Robotics और Clean Energy जैसे क्षेत्रों के लिए यह गंभीर चेतावनी है।
भारत की स्थिति और नीति
भारत में REEs का निष्कर्षण और नियंत्रण मुख्यतः IREL (Indian Rare Earths Limited) और परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा किया जाता है।
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भारत में समुद्र तटों से मिलने वाला Monazite रेत प्रमुख स्रोत है।
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भारत अपस्ट्रीम प्रोसेसिंग (Rare Earth Oxides) करता है लेकिन डाउनस्ट्रीम मेटल रिफाइनिंग के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है।
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वर्तमान में भारत वैश्विक REE बाजार में मात्रिक रूप से सीमित खिलाड़ी है।
भविष्य की चुनौतियां और अवसर
इस संकट ने भारत और अन्य देशों के लिए स्थानीय उत्पादन क्षमताएं बढ़ाने का अवसर पैदा किया है। अगर भारत नीतिगत रूप से ठोस कदम उठाए, तो वह इस क्षेत्र में स्ट्रेटेजिक बढ़त बना सकता है।
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नई नीतियों की आवश्यकता, जिससे Downstream प्रोसेसिंग और उत्पादन भारत में हो।
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निजी कंपनियों को शामिल कर, अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता।
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आत्मनिर्भर भारत के तहत Rare Earths में निवेश एक बड़ी रणनीतिक चाल साबित हो सकती है।
रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति पर चीन की पकड़ वैश्विक तकनीकी असंतुलन को दर्शाती है। भारत जैसे देशों के लिए यह समय है जब वह अपनी रणनीतिक खनिज क्षमता को सशक्त करें, ताकि आने वाले दशक में ग्रीन टेक्नोलॉजी और रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूती मिल सके।