पहलगाम हमले की जांच को गुमराह कर रहीं फर्जी खबरें और सोशल मीडिया अफवाहें

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पहलगाम हमले की जांच को गुमराह कर रहीं फर्जी खबरें और सोशल मीडिया अफवाहें

पहलगाम हमले की जांच को गुमराह कर रहीं फर्जी खबरें और सोशल मीडिया अफवाहें

नई दिल्ली/श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हिंदू पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान समर्थित फर्जी खबरों, झूठे सोशल मीडिया पोस्ट्स और डीपफेक वीडियो ने जांच को जटिल बना दिया है। इन गलत सूचनाओं के कारण NIA को बार-बार गुमराह किया जा रहा है, जिससे असली सुरागों पर काम प्रभावित हो रहा है।

फर्जी अलर्ट्स ने बिगाड़ा फोकस

अब तक NIA को 200 से अधिक फर्जी अलर्ट मिल चुके हैं, जिनमें झूठे कॉल्स, नकली सुराग और सोशल मीडिया पर फैलाई गई गुमराह करने वाली जानकारी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये अलर्ट सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान असली जांच से हटाकर बेकार की पड़ताल में लगा रहे हैं।

NIA की फॉरेंसिक टीम बैसरन घाटी में घटनास्थल की 3D मैपिंग और घटनास्थल से बरामद 40 गोलियों की बैलिस्टिक जांच में जुटी है। हालांकि फर्जी सुरागों की जांच में समय और संसाधनों की भारी बर्बादी हो रही है।

सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़

सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स जानबूझकर गलत जानकारी फैलाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में दो युवकों ने श्रीनगर के लाल चौक पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की। एक अन्य यूट्यूबर ने सोनमर्ग का वीडियो ‘पहलगाम अटैक साइट’ बताकर पोस्ट किया, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।

पाकिस्तान की साइबर साजिशें

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान एक संगठित फर्जी सूचना नेटवर्क के माध्यम से भारत की जांच प्रणाली और समाज में अविश्वास फैलाने की कोशिश कर रहा है। डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल कर एक विधवा महिला को नाचते हुए दिखाया गया, जिससे भावनाएं भड़काई जा सकें। कुछ फर्जी दस्तावेज भी सोशल मीडिया पर साझा किए गए जिनमें दावा किया गया कि भारतीय सेना में उच्च स्तर पर बदलाव किया गया है, जबकि वास्तविकता में संबंधित अधिकारी की रिटायरमेंट पहले से निर्धारित थी।

मीडिया और फिशिंग हमले भी शामिल

पाकिस्तानी मीडिया चैनल जैसे डॉन न्यूज और ARY न्यूज ने हमले को “भारत की साजिश” बताने का प्रयास किया। वहीं पाकिस्तानी हैकिंग ग्रुप APT36 ने फर्जी वेबसाइट्स बनाकर फिशिंग लिंक शेयर किए, जैसे – jkpolice.gov.in.kashmirattack.exposed – ताकि सुरक्षा एजेंसियों की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।

NIA की चुनौतियां बढ़ीं

वायरल व्हाट्सएप मैसेज, डीपफेक वीडियो और सोशल मीडिया भ्रामक पोस्ट्स के कारण एजेंसियों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे प्रत्येक इनपुट की गहराई से जांच कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा हालात में कोई भी सुराग नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

“फर्जी सूचनाएं जांच में बाधा बन रही हैं, लेकिन हर सुराग की गंभीरता से जांच की जा रही है। हमारी प्राथमिकता हमलावरों तक पहुंचना और उनके नेटवर्क को उजागर करना है।”
— एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी

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