पहलगाम हमला: कश्मीर में सुरक्षाबलों की कार्रवाई के तहत घर ध्वस्त, उठे सवाल

पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा ध्वस्त किए गए घर।
नई दिल्ली: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए भीषण चरमपंथी हमले के बाद राज्य के कई हिस्सों में पुलिस और सुरक्षाबलों ने विशेष कार्रवाई शुरू कर दी है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। हमले के बाद से अब तक कम से कम 10 घरों को ध्वस्त किया जा चुका है। हालांकि पुलिस या सेना की ओर से इस कार्रवाई पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
परिवारों का दर्द: “हमारा क्या कसूर था?”
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, ध्वस्त किए गए घरों में से एक आदिल हुसैन ठोकर का भी है, जो पुलिस के अनुसार संदिग्ध चरमपंथी है। आदिल के परिवार ने बताया कि 25 अप्रैल की रात सेना और पुलिस उनके घर पहुंची थी। आदिल की मां, शहज़ादा बानो ने कहा,
“मैंने उनसे माफ़ी मांगते हुए कहा कि हमारे साथ इंसाफ़ किया जाए, लेकिन उन्होंने हमें घर से बाहर भेज दिया। आधी रात को धमाका हुआ और हमारा घर मलबे में तब्दील हो गया।”
शहज़ादा बानो ने बताया कि आदिल वर्ष 2018 से लापता है। आज उनका पूरा परिवार बेसहारा हो गया है; उनके पति और दोनों बेटे पुलिस हिरासत में हैं।
कुलगाम में भी कार्रवाई
इसी तरह कुलगाम के मतलहामा गांव में ज़ाकिर अहमद के घर को भी विस्फोट से उड़ा दिया गया। ज़ाकिर के पिता ग़ुलाम मोहिउद्दीन ने बताया कि उनका बेटा 2023 में लापता हुआ था और बाद में उसे एक चरमपंथी संगठन से जुड़ा बताया गया।
ग़ुलाम मोहिउद्दीन ने कहा,
“हमें रात में मस्जिद में रखा गया और फिर धमाके से हमारा घर ढहा दिया गया। हमारी पूरी ज़िंदगी उसी घर में थी। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।”
ज़ाकिर की बहन रुकैया ने कहा कि उन्होंने अपने भाई को कई सालों से नहीं देखा था।
“हमारे लिए वह बहुत पहले मर चुका था। हमें इंसाफ चाहिए, हम दोषियों का समर्थन नहीं करते।”
कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
इस तरह की कार्रवाई पर कानूनी सवाल भी उठने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील हबील इक़बाल ने कहा,
“बिना किसी अदालती आदेश के मकान गिराना सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और कानून के शासन के खिलाफ है। यह सामूहिक दंड की श्रेणी में आता है, जो भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।”
सियासी प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने भी इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। महबूबा मुफ्ती ने कहा,
“सरकार को निर्दोष नागरिकों और आतंकियों में फर्क करना चाहिए। निर्दोषों को सजा देने से आतंकियों के मंसूबे ही मजबूत होंगे।”
वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“दोषियों को सख्त सजा मिले, लेकिन निर्दोषों को इस कार्रवाई से बाहर रखा जाए। कश्मीर के आम लोगों ने खुद आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है, हमें उनके विश्वास को टूटने नहीं देना चाहिए।”
पहलगाम हमले ने पूरे कश्मीर को झकझोर दिया है। सुरक्षाबलों की कार्रवाई भले ही आतंकवाद को खत्म करने के मकसद से हो, लेकिन निर्दोषों को हुए नुकसान पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे समय में जब कश्मीर के लोग खुद आतंकवाद के खिलाफ खड़े हो रहे हैं, उन्हें भरोसा और न्याय देना भी उतना ही जरूरी है।