वक्फ कानून 2025 पर बवाल: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, कानून पर रोक से इनकार

नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज़ हो गई है। विपक्षी दलों, मुस्लिम संगठनों और कई याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को संवैधानिक रूप से चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में अहम सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया, लेकिन कानून पर तत्काल रोक लगाने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: ‘वक्फ बाय यूजर‘ को हटाने से पैदा होंगी समस्याएं
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ की प्रथा को खत्म करना कई कानूनी और सामाजिक जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि “ज्यादातर ऐतिहासिक मस्जिदें 14वीं–15वीं शताब्दी में बनी हैं, ऐसे में उनके पास कोई रजिस्टर्ड डीड नहीं होगी।”
गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति पर सवाल
कोर्ट ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल किया जा सकता है, जैसे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को रखने की बात की जा रही है। कोर्ट ने कहा कि “आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते।” पीठ ने इस मुद्दे को धार्मिक प्रतिनिधित्व और धर्मनिरपेक्षता के संतुलन से जोड़ा।
‘वक्फ बाय यूजर‘ को हटाना धर्मिक परंपरा पर हमला: सिब्बल
याचिकाकर्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि वक्फ बाय यूजर एक स्थापित धार्मिक प्रथा है। उन्होंने कहा, “अगर वक्फ की संपत्ति 3000 साल पहले दी गई थी तो आज उससे संबंधित डीड की मांग करना असंभव है।”
मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हिंसा, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी
वक्फ अधिनियम को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जब मामला शीर्ष अदालत के पास लंबित है, तब सड़क पर हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
केंद्र का दावा: कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद बना
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वक्फ अधिनियम, 2025 को पारित करने से पहले संयुक्त संसदीय समिति ने 38 बैठकें कीं और 98.2 लाख ज्ञापनों की जांच की गई। यह कानून लोकसभा में 288-232 और राज्यसभा में 128-95 के बहुमत से पास हुआ।
73 याचिकाएं, कैविएट दायर
अब तक सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम के खिलाफ 73 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। याचिकाकर्ताओं में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, AIMPLB, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK और कांग्रेस नेता शामिल हैं। जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर आग्रह किया है कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी भी बात सुनी जाए।
वक्फ कानून बना संवैधानिक बहस का केंद्र बिंदु
वक्फ अधिनियम 2025 ना सिर्फ एक कानूनी मसला बन चुका है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता, प्रतिनिधित्व और ऐतिहासिक संपत्तियों के अधिकार से जुड़ा एक बड़ा विवाद बन चुका है। आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई इस मामले की दिशा तय करेगी।