Punjab Floods reason: पंजाब में बाढ़ का रहस्य, सपाट मैदानी इलाका होने के बावजूद क्यों डूब गया पूरा प्रदेश?

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Punjab Floods reason

Punjab Floods reason: पंजाब, जिसे हरा-भरा और उपजाऊ मैदानी इलाका माना जाता है, आज बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है। लोगों के मन में बड़ा सवाल है कि जब पंजाब एक सपाट मैदान है, जहां आमतौर पर नदियों का पानी आसानी से बहकर निकल जाना चाहिए, तो आखिर यहां बाढ़ कैसे आ गई? इस रहस्य को समझने के लिए हमें प्रकृति और इंसानी लापरवाही दोनों पहलुओं को देखना होगा।

पंजाब की भौगोलिक स्थिति और बाढ़ की चुनौती

पंजाब एक सपाट मैदानी इलाका है। यहां अगर पानी आता है तो वह तेजी से बह नहीं पाता। पहाड़ी राज्यों से आने वाली नदियों के पानी की गति मैदान में धीमी हो जाती है। इस वजह से पानी फैल तो जाता है लेकिन निकलने में दिक्कत होती है। यही कारण है कि बाढ़ आने पर पानी लंबे समय तक ठहर जाता है और जनजीवन अस्त-व्यस्त कर देता है।

पंजाब से गुजरने वाली नदियों का उफान

पंजाब की जीवनरेखा कही जाने वाली नदियां – सतलज, ब्यास और रावी – पहाड़ों से निकलती हैं। इस बार पहाड़ी राज्यों में सामान्य से कई गुना अधिक बारिश हुई। इससे नदियां उफान पर आ गईं और उनका अतिरिक्त पानी नीचे के मैदानी इलाकों में आकर भर गया।

पहाड़ों में भारी बारिश का असर

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में इस बार रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। इन इलाकों से निकली नदियों में अचानक पानी का स्तर इतना बढ़ा कि वे अपने किनारों को तोड़कर मैदानी इलाकों में फैल गईं। निचले क्षेत्र होने के कारण पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।

डैम पर बढ़ता खतरा

बांधों में पानी का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच गया था। इंजीनियरों और प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती थी – अगर पानी छोड़ा न जाता तो डैम टूटने का खतरा था और अगर पानी छोड़ा जाता तो नीचे के इलाकों में बाढ़ आती। मजबूरी में लाखों क्यूसेक पानी एक साथ छोड़ा गया, जिससे पंजाब के मैदानी हिस्सों में पानी तेजी से फैल गया।

अगर डैम टूट जाते तो तबाही का स्तर और भी भयावह होता, इसलिए पानी छोड़ना प्रशासन की मजबूरी बन गई। लेकिन इसका सीधा असर पंजाब की जमीन पर पड़ा।

पानी क्यों नहीं निकल पाया?

पहाड़ी इलाकों से आने वाला पानी रफ्तार पकड़कर मैदानी इलाकों तक पहुंचा, लेकिन मैदान में उसकी रफ्तार धीमी हो गई। इस कारण पानी पंजाब में आकर ठहर गया। यहां की सपाट जमीन पानी को बाहर निकलने का रास्ता नहीं दे पाई।

शहरों की ड्रेनेज व्यवस्था की असफलता

पंजाब के शहरों और कस्बों की नालियां और नदियां पहले से ही गंदगी, अतिक्रमण और कचरे से जाम थीं। ड्रेनेज सिस्टम की बदहाल हालत ने हालात और बिगाड़ दिए। जहां से पानी निकलना चाहिए था, वहां पानी फंसकर और तेजी से जमा हो गया। यही वजह रही कि बाढ़ का असर दिनों तक बना रहा।

प्राकृतिक आपदा के साथ इंसानी लापरवाही

पंजाब में आई बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं थी। यह इंसानी लापरवाही और प्रशासनिक कुप्रबंधन का परिणाम भी थी।

  • पहाड़ी राज्यों में बारिश तो प्राकृतिक थी, लेकिन पानी छोड़ने की योजना सही से नहीं बनी।

  • ड्रेनेज सिस्टम को समय रहते दुरुस्त नहीं किया गया।

  • नदियों और नालों से अतिक्रमण और गाद नहीं हटाई गई।

  • शहरी विकास बिना योजना के हुआ, जिससे पानी निकालने का रास्ता ही बंद हो गया।

अगर प्रशासन पहले से तैयारी करता, तो नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता था।

सीखने का समय

पंजाब की इस बाढ़ ने साफ कर दिया है कि हमें सिर्फ प्रकृति पर दोष मढ़कर जिम्मेदारी से बचना नहीं चाहिए। पहाड़ी राज्यों की बारिश और नदियों के उफान को रोकना हमारे हाथ में नहीं, लेकिन सही प्लानिंग, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर ड्रेनेज सिस्टम से ऐसे हालात से निपटा जा सकता है।

यह सिर्फ बाढ़ की कहानी नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है कि आने वाले समय में हमें अपनी व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा, वरना हर बार पंजाब जैसे सपाट मैदानी इलाकों में भी बाढ़ आती रहेगी और लोगों की जिंदगी पानी में डूबती रहेगी।

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