परिवर्तनी एकादशी 2025: व्रत विधि, महत्व और पूजा का सही समय  

1st september 2025

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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। इसे जलझूलनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी भी कहा जाता है।

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परिवर्तनी एकादशी क्या है? 

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु शयनावस्था में करवट बदलते हैं। व्रत करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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धार्मिक महत्व 

प्रातः स्नान कर संकल्प लें। भगवान विष्णु की पीली वस्त्र और पुष्पों से पूजा करें। तुलसी दल अर्पित करें। दिनभर व्रत और रात में जागरण करें।

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व्रत विधि 

फलाहार करें – फल, दूध, मेवा। चावल, दाल, लहसुन-प्याज और अनाज न खाएँ।

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क्या खाना चाहिए, क्या नहीं? 

🕉 2025 में परिवर्तनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, तिथि प्रारंभ: 4 सितंबर (सुबह 06:22 बजे), तिथि समाप्त: 5 सितंबर (सुबह 08:45 बजे) 

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पूजा का शुभ मुहूर्त 

जीवन में सुख और समृद्धि, मानसिक शांति और आत्मिक बल, रोग-निवारण और पुण्य प्राप्ति 

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व्रत के लाभ 

परिवर्तनी एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन व्रत-पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। 

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