नैनीताल की नैनी झील में पहली बार दिखे कछुए, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

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नैनीताल की नैनी झील में पहली बार दिखे कछुए, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

उत्तराखंड का नैनीताल हमेशा से अपनी खूबसूरत नैनी झील और प्राकृतिक वातावरण के लिए मशहूर रहा है। लेकिन इस बार यहां कुछ ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को चौंका दिया। नैनी झील में पहली बार कछुए देखे गए हैं, जो इस क्षेत्र में अब तक कभी नहीं पाए गए थे।

ठंडी सड़क क्षेत्र में दिखे कछुए
नैनी झील के ठंडी सड़क इलाके में पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने इन दुर्लभ कछुओं को देखा। यह पहली बार है जब इस झील में कछुए नजर आए हैं, जिससे पर्यटक आकर्षित होकर बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। लेकिन वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स इस घटना को लेकर चिंतित हैं।

विशेषज्ञों की चिंता – नैनी झील कछुओं के अनुकूल नहीं
देव सिंह बिष्ट कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर ललित तिवारी ने बताया कि नैनी झील का इकोसिस्टम कछुओं के जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा, “कछुओं का खून ठंडा होता है और यहां की ठंड उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।” इससे पहले कभी भी झील में कछुए नहीं देखे गए हैं।

कहाँ से आए ये कछुए?
पर्यावरणविद बिजू लाल टीआर ने आशंका जताई है कि ये कछुए या तो पालतू जानवर थे जिन्हें किसी ने छोड़ दिया, या फिर वन्यजीव तस्करी के ज़रिये यहां लाए गए हैं। इस रहस्य को सुलझाने के लिए एक विशेषज्ञों की टीम झील का निरीक्षण कर रही है।

रेस्क्यू ऑपरेशन की मांग
वन्यजीव अधिकारियों और पर्यावरणविदों ने मांग की है कि वन विभाग के सहयोग से जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाए और इन कछुओं को गर्म स्थानों पर शिफ्ट किया जाए, जहां वे सुरक्षित रह सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं नैनी झील के इकोसिस्टम को खतरे में डाल रही हैं।

पहले भी आईं थीं बाहरी प्रजातियां
कुछ महीने पहले भी झील में थाईलैंड और चीन से लाई गई आक्रामक मांगूर मछलियां पाई गई थीं, जो न केवल अन्य मछलियों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि झील में तैरने वालों पर भी हमला कर सकती हैं। वर्ष 2008-09 में प्रशासन ने ऐसे ही बाहरी प्रजातियों को झील से हटाने के लिए बड़ा अभियान चलाया था।

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